प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, सूखा, बाढ़, कीट संक्रमण, और अन्य जोखिमों से होने वाली फसल हानि के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है। इस योजना के तहत बीमा राशि का निर्धारण एक वैज्ञानिक और पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है।
Contents
✅ बीमा राशि का निर्धारण कैसे होता है?1. फसल कटाई प्रयोग (Crop Cutting Experiments – CCE)2. स्थानीय जोखिमों का मूल्यांकन3. मानक उपज (Threshold Yield) और वास्तविक उपज (Actual Yield)4. क्षेत्रीय और राष्ट्रीय डेटा का उपयोग🧾 बीमा राशि का निर्धारण करते समय ध्यान में रखने योग्य बातें📱 डिजिटल पहल और तकनीकी सुधार📞 सहायता और संपर्क📝 निष्कर्ष
✅ बीमा राशि का निर्धारण कैसे होता है?
1. फसल कटाई प्रयोग (Crop Cutting Experiments – CCE)
- फसल कटाई प्रयोग एक मानकीकृत विधि है जिसके द्वारा फसल की वास्तविक उपज का मूल्यांकन किया जाता है।
- इसमें चयनित खेतों से फसल की कटाई की जाती है और उपज का वजन लिया जाता है, जिससे क्षेत्रीय उपज का अनुमान लगाया जाता है।
- यह डेटा बीमा राशि के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
2. स्थानीय जोखिमों का मूल्यांकन
- कुछ विशेष परिस्थितियाँ जैसे ओलावृष्टि, भूस्खलन, बाढ़, और अन्य स्थानीय आपदाएँ बीमा राशि के निर्धारण में शामिल होती हैं।
- इन घटनाओं के लिए क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जाता है और ड्रोन या उपग्रह चित्रण के माध्यम से हानि का मूल्यांकन किया जाता है।
- इन घटनाओं के लिए बीमा राशि का निर्धारण व्यक्तिगत खेतों के आधार पर किया जाता है।
3. मानक उपज (Threshold Yield) और वास्तविक उपज (Actual Yield)
- मानक उपज वह उपज है जो सामान्य परिस्थितियों में एक क्षेत्र में अपेक्षित होती है।
- वास्तविक उपज वह उपज है जो वास्तविकता में प्राप्त होती है।
- यदि वास्तविक उपज मानक उपज से कम होती है, तो अंतर के आधार पर बीमा राशि का निर्धारण किया जाता है।
4. क्षेत्रीय और राष्ट्रीय डेटा का उपयोग
- राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) और डिजिक्लेम मॉड्यूल के माध्यम से क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर डेटा एकत्रित किया जाता है।
- इस डेटा का उपयोग बीमा राशि के निर्धारण में पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है।
🧾 बीमा राशि का निर्धारण करते समय ध्यान में रखने योग्य बातें
- प्रीमियम भुगतान: किसान को बीमा प्रीमियम का भुगतान करना आवश्यक है।
- फसल का पंजीकरण: फसल का बीमा योजना में पंजीकरण होना चाहिए।
- हानि की सूचना: फसल हानि की घटना के 72 घंटे के भीतर सूचना देना आवश्यक है।
- दस्तावेज़ों की प्रस्तुति: आधार कार्ड, बैंक खाता विवरण, और अन्य आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत करना आवश्यक है।
📱 डिजिटल पहल और तकनीकी सुधार
- ड्रोन और सैटेलाइट तकनीक: फसल हानि का सटीक मूल्यांकन।
- मोबाइल ऐप: दावा प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना।
- e-KYC और DBT: मुआवजा वितरण में तेजी और पारदर्शिता।
- ग्रिवांस रिड्रेसल हेल्पलाइन: 155261, शिकायतों और सहायता के लिए।
📞 सहायता और संपर्क
- PMFBY हेल्पलाइन: 14447
- WhatsApp चैटबॉट: 7065514447
- आधिकारिक वेबसाइट: pmfby.gov.in
📝 निष्कर्ष
PMFBY 2025 के तहत बीमा राशि का निर्धारण अब और भी सटीक, पारदर्शी और डिजिटल हो गया है। किसान अब तकनीकी उपकरणों के माध्यम से अपनी फसल हानि की सूचना दे सकते हैं और शीघ्र मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं। इससे किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से उबरने में मदद मिलेगी और उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी।
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