प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगली सप्ताह ₹2,481 करोड़ के राष्ट्रीय मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग (NMNF) का औपचारिक उद्घाटन करेंगे। यह पहल प्राकृतिक और सतत कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से है, जिसे Niti Aayog ने तैयार किया है और कृषि मंत्रालय द्वारा संचालित किया जाएगा।
मिशन की प्रमुख जानकारी
विवरण | जानकारी |
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लॉन्च तिथि | 23 अगस्त 2025 |
कुल बजट | ₹2,481 करोड़ (केंद्र ₹1,584 करोड़; राज्य ₹897 करोड़) |
लक्ष्य भू-क्षेत्र | 7.5 लाख हेक्टेयर (750,000 हेक्टेयर) |
लक्षित किसान | 1 करोड़ किसान (समीप भविष्य में विस्तार की योजना) |
क्लस्टर मॉडल | 15,000 ग्राम पंचायत क्लस्टर मॉडल्स |
बायो-इनपुट रिसोर्स सेंटर | 10,000 केंद्र स्थापित होंगे |
प्रशिक्षण एवं समर्थन | 70,000+ कृषि सखियों को प्रशिक्षित किया गया, मॉडल फार्म और प्रशिक्षण संस्थान सक्रिय |
प्रोत्साहन राशि | प्रति एकड़ ₹4,000 वार्षिक (दो किस्तों में) |
मिशन का उद्देश्य और महत्व
यह मिशन रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों पर किसानों की निर्भरता कम करना, मिट्टी की गुणवत्ता सुधारना और कृषि को अधिक टिकाऊ बनाना चाहता है। इसका मकसद खेती की लागत को घटाकर किसानों की आय बढ़ाना और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करना है।
इसके तहत सुलभ प्रमाणन प्रणाली और सामान्य राष्ट्रीय ब्रांडिंग के माध्यम से किसानों को उनके प्राकृतिक उत्पाद बाजार में आसानी से बेचने की सुविधा मिलेगी। साथ ही, ऑनलाइन पोर्टल पर रीयल-टाइम ट्रैकिंग के द्वारा मिशन की पारदर्शी और प्रभावी निगरानी सुनिश्चित की जाएगी।
क्षेत्रीय कार्यान्वयन का उदाहरण: Hassan जिला
कर्नाटक के Hassan जिले में NMNF की शुरूआत की जा चुकी है, जहां प्रत्येक क्लस्टर में लगभग 50 हेक्टेयर क्षेत्र और 125 किसान शामिल हैं। यहां किसानों को प्रति एकड़ ₹4,000 की वार्षिक प्रेरणा दी जा रही है, जो दो किस्तों में उनके आधार से जुड़े बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है। किसानों को प्रशिक्षण, उपकरण और पशुधन आधारित एकीकृत कृषि के लिए युक्तियाँ मिलती हैं।
हालाँकि, कुछ संगठनों ने शुरुआती फसल नुकसान की भरपाई के लिए पर्याप्त सहायता की कमी पर चिंता जताई है।
निष्कर्ष

National Mission on Natural Farming (NMNF) भारत की पारंपरिक कृषि विधियों को पुनर्जीवित करते हुए एक बड़े पैमाने पर प्रकृति-मैत्री खेती को बढ़ावा देने का एक दूरदर्शी कदम है। यह किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण, मिट्टी स्वास्थ्य, और पर्यावरण सुरक्षा को एकीकृत रूप में आगे बढ़ाने का प्रयास है।
सरकार की इस पहल से अपेक्षा है कि एक स्थायी खेती मॉडल विकसित होगा जो भावी पीढ़ियों को सुरक्षित, स्वस्थ और समृद्ध जीवन देने में सहायक होगा।
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