भारत के ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में महिला स्वयं सहायता समूह (SHGs) लंबे समय से आत्मनिर्भरता और सामूहिक प्रगति का प्रतीक रहे हैं। 2025 में डिजिटल तकनीक ने इन समूहों को और अधिक सशक्त बनाया है। मोबाइल बैंकिंग, UPI, ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया और सरकारी पोर्टल्स की मदद से महिलाएँ अब न केवल परिवार बल्कि समाज की अर्थव्यवस्था में भी अहम भूमिका निभा रही हैं।
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🌍 भारत में SHGs की स्थिति

- 7.5 करोड़ से अधिक महिलाएँ 70 लाख SHGs के ज़रिए जुड़ी हुई हैं।
- DAY-NRLM (Deendayal Antyodaya Yojana – NRLM) जैसे सरकारी कार्यक्रमों से महिलाओं को प्रशिक्षण, लोन और डिजिटल टूल्स तक पहुँच मिल रही है।
- 2025 में कई राज्यों ने डिजिटल वित्तीय साक्षरता अभियान शुरू किए हैं जिससे महिलाएँ ऑनलाइन लेन-देन में आत्मनिर्भर हो रही हैं।
📲 डिजिटल सशक्तिकरण के मुख्य आयाम
| पहल | प्रभाव |
|---|---|
| UPI & Mobile Banking | महिलाएँ सीधे बैंक खातों से लेन-देन कर पा रही हैं, बिचौलियों पर निर्भरता कम। |
| E-Commerce Platforms | Amazon Saheli, Flipkart Samarth जैसे प्रोग्राम्स से महिलाओं के उत्पाद ऑनलाइन बिक रहे हैं। |
| Social Media Marketing | WhatsApp Business, Instagram और Facebook से लोकल प्रोडक्ट्स को नेशनल और इंटरनेशनल मार्केट तक पहुँचा रही हैं। |
| Digital Skill Training | सरकारी और NGO पहल से महिलाएँ कंप्यूटर, इंटरनेट और डिजिटल ऐप्स सीख रही हैं। |
| Blockchain & Traceability | कुछ SHGs ने प्रोडक्ट की असली पहचान और क्वालिटी दिखाने के लिए ब्लॉकचेन का प्रयोग शुरू किया है। |
✅ फायदे (Benefits of Digital Empowerment)

- आर्थिक स्वतंत्रता – महिलाएँ अब स्वयं कमाई करके परिवार का सहारा बन रही हैं।
- पारदर्शिता – सीधे बैंक खाते में DBT और डिजिटल लेन-देन।
- बाज़ार तक पहुँच – लोकल उत्पाद अब ई-कॉमर्स और सोशल मीडिया पर देशभर में बिक रहे हैं।
- नेतृत्व विकास – महिलाएँ अब ग्राम पंचायत और स्थानीय प्रशासन में भी सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
- क्रेडिट एक्सेस – डिजिटल क्रेडिट स्कोरिंग से छोटे लोन आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं।
⚠️ चुनौतियाँ

- डिजिटल साक्षरता की कमी।
- इंटरनेट और स्मार्टफोन की सीमित उपलब्धता।
- साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन फ्रॉड का खतरा।
- बाज़ार में ब्रांडिंग और पैकेजिंग की कमी।
🔮 भविष्य की संभावनाएँ
- Digital SHG Portals: हर राज्य में SHG e-marketplace विकसित किए जा रहे हैं।
- AI Tools: बिक्री और मार्केटिंग में AI-driven insights का इस्तेमाल।
- Financial Inclusion 2.0: ग्रामीण महिलाओं को micro-insurance और digital loan products से जोड़ा जाएगा।
- Skill-Tech Integration: Coding, Design और Digital Marketing जैसे नए क्षेत्रों में भी SHGs की ट्रेनिंग होगी।
💡 सुझाव
- सरकार और NGOs को साइबर सुरक्षा व डिजिटल स्किल ट्रेनिंग पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए।
- CSR प्रोजेक्ट्स के तहत कंपनियाँ SHGs को टेक्नोलॉजी सपोर्ट दे सकती हैं।
- लोकल उत्पादों की ब्रांडिंग और पैकेजिंग पर विशेष जोर दिया जाए।
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