भारत की स्टार्टअप दुनिया अब सिर्फ बड़े महानगरों तक सीमित नहीं रही। 2025 में जैसे-जैसे इंटरनेट, सरकार की नीतियाँ और निवेश पहुँचने लगे हैं, Tier-2 और Tier-3 शहरों ने उद्यमी इकोसिस्टम में अपनी जगह मजबूत कर ली है। ये शहर न सिर्फ व्यवसाय कर रहे हैं बल्कि नौकरियाँ बना रहे हैं, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल फैला रहे हैं और “Bharatpreneurs” की एक नई लहर खड़ी कर रहे हैं।
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🔍 ताज़ा डेटा & ट्रेंड्स

- DPIIT के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में भारत की लगभग 1.25 लाख स्टार्टअप्स रजिस्टर्ड थीं, जिनमें से लगभग 45-50% Tier-2 / Tier-3 शहरों से थीं।
- Startup Hiring में भी बदलाव हुआ है: अप्रैल 2025 में Tier-2 शहरों में नौकरी के ऑफर्स 급 बढ़े हैं; Foundit की रिपोर्ट कहती है कि Metro-cities की तुलना में यहाँ काम करने की इच्छुक प्रतिभा और नए रजिस्ट्रेशन में इजाफा हुआ है।
- “Bharatpreneurs” आंदोलन: BizDateUp ने बताया है कि FY24-25 में किए गए निवेशों में लगभग 60% पूंजी Tier-2/3 शहरों के उद्यमियों को गई है, जिसमें Nashik और Jaipur प्रमुख शहर बने हैं।
- लागत लाभ (Cost Advantage): Tier-2/3 शहरों में किराया, कार्यालय खर्च और टैलेंट कॉस्ट करीब 25-30% कम है बहुत बड़े महानगरों की तुलना में।
📍 ऐसे शहर जो Startup Hub बनते जा रहे हैं

कुछ उदाहरण:
- Jaipur – FinTech, D2C ब्रांड्स, टेक्नोलॉजी सेक्टर में बढ़ती सक्रियता।
- Indore – कृषि टेक, ई-कॉमर्स, औद्योगिक ऑटोमेशन जैसी क्षेत्रों में विकास।
- Coimbatore – मैन्युफैक्चरिंग + टेक्नोलॉजी का मिश्रण, लोकल संस्थाएँ और बिज़नेस से जुड़ी सुविधाएँ बढ़ रहीं हैं।
- अन्य शहरों जैसे Lucknow, Ahmedabad, Bhubaneswar, Guwahati भी Startup Registrations, Talents और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के चलते आगे बढ़ रहे हैं।
✅ फायदे (Advantages)
| फायदے | विवरण |
|---|---|
| कम खर्च (Lower Operating Costs) | ऑफिस स्पेस, किराया, कर्मचारियों की सैलेरी आदि बड़े शहरों की तुलना में सस्ते। |
| लागत-प्रयास संतुलन (Work-Life Balance) | जीवन स्तर कम महंगा; भीड़-भाड़ कम; स्थानीय समुदाय और संसाधन बेहतर हो सकते हैं। |
| प्रतिभा का उपयोग (Talent Availability) | छोटे शहरों से ग्रेजुएट्स आ रहे हैं; कुछ वरिष्ठ प्रोफेशनल्स भी लौटने लगे हैं; शिक्षा संस्थाएँ स्थानीय हो रही हैं। |
| सरकारी मदद और नीतियाँ (Govt Support) | स्टार्टअप नीतियाँ, seed funds, incentives आदि बढ़ाए गए हैं जिससे स्थानीय उद्यमी लाभान्वित हैं। |
| उपभोक्ता बाजार शुरुआती पहुँच (Untapped Markets) | छोटे शहरों में डिजिटल उपयोग बढ़ रहा है; स्थानीय आवश्यकताओं को पूरा करने वाले उत्पाद/सेवाएँ सफल हो रही हैं। |
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⚠️ चुनौतियाँ (Challenges)
- इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी: मेन रोड तक पहुंच, इंटरनेट स्पीड, विद्युत आपूर्ति अभी भी कई शहरों में मुद्दा है।
- वित्त पोषण (Funding) सीमाएं: निवेशक अधिकतर मेट्रो-क्षेत्रों में रहते हैं; छोटे शहरों के स्टार्टअप्स को VC/angel investment मिलना थोड़ा कठिन होता है।
- मानव संसाधन बनाए रखना: कुछ टैलेंट बाहर जाना चाहता है; स्किल डेवलपमेंट जरूरी है।
- ब्रांडिंग और मार्केट एक्सपोज़र: बड़े मार्केट में पहुँच और प्रतिष्ठा हासिल करना समय लेता है।
- आय बढ़ाने व मुनाफे बनाए रखने का दबाव: स्थानीय बाजार की क्षमताएँ सीमित हो सकती हैं, स्वीकृति कम हो सकती है।
🔮 क्या भविष्य दिखता है?

- रिपोर्टों के अनुसार, 2035 तक Tier-2/3 शहरों से निकलने वाले स्टार्टअप्स 50% से अधिक होंगे।
- राज्य सरकारें और केंद्र आधारित प्रोग्राम्स जैसे Fund of Funds, Seed Grants, Incubators आदि छोटे शहरों में बढ़ रहे हैं।
- डिजिटल इंफ़्रास्ट्रक्चर, Co-Working Spaces, GCCs और IT Parks छोटे शहरों में स्थापित हो रहे हैं।
💡 सुझाव (What Entrepreneurs & Policy Makers Can Do)
- लोकल इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधारें — सस्ता इंटरनेट, reliable बिजली, कार्यालय स्थान।
- स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स — शिक्षा संस्थाएँ और प्रशिक्षण केंद्र स्थानीय स्तर पर मजबूत हों।
- वित्त पोषण आसान बनाएं — माइक्रो-इन्फ्रेनसर/एंजेल नेटवर्क छोटे शहरों में सक्रिय हों।
- नेटवर्किंग और mentorship बढ़ाएँ — लोकल incubators, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और उद्योग भागीदारी।
- स्थानीय उपयोगकर्ता-केन्द्रित उत्पाद बनाएं — स्थानीय ज़रूरतों, संस्कृति और खर्च करने की क्षमता को ध्यान में रखें।
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