मध्य प्रदेश में लगभग 4 लाख सरकारी कर्मचारी, जिनका प्रमोशन 2016 से रुका हुआ है, अब 12 अगस्त 2025 को होने वाली हाई कोर्ट में सुनवाई में मोड़ की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
Contents
प्रमुख बिंदु:
- अदालत का निर्देश: उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से 2002 और 2025 के प्रमोशन नियमों का तुलनात्मक चार्ट पेश करने को कहा है। इसके तहत करीब 20 बिंदुओं की तुलना तैयार की गई है।
- सरकार की स्थिति: सरकारी अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने नए नियमों को लागू करने की पूरी तैयारी कर ली है। यदि अदालत नई नियमों पर रोक नहीं लगाती है, तो लगभग एक दशक बाद प्रमोशन्स फिर से शुरू हो सकते हैं।
- वित्तीय प्रभाव: विश्लेषकों के अनुसार, इस कदम से सरकार पर कोई भारी वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा क्योंकि कर्मचारियों को समय-आधारित वेतनमान (time-bound pay scales) मिलते रहे हैं।
सारांश

- मुद्दा: लंबे समय तक रुकी हुई प्रमोशन प्रक्रिया को लेकर एमपी सरकार नई नियमावली लेकर कोर्ट में जाने की तैयारी कर रही है।
- अदालत की मांग: पुराने (2002) और नए (2025) नियमों में अंतर स्पष्ट करने के लिए तुलनात्मक रिपोर्ट तैयार कर प्रस्तुत करें।
- सरकारी दृष्टिकोण: वे तैयार हैं, और यदि अदालत अनुमति देती है तो प्रमोशन्स जल्द दोबारा शुरू होने की संभावना है।
- स्थिति: कर्मचारियों में आशा है, लेकिन कोर्ट की अंतिम राय ही निर्णायक होगी।
Also Read;
RIMS भर्ती 2025: भर्ती प्रक्रिया फिर से आयोजित—RUHS के वर्तमान फैकल्टी को ऑटोमैटिक नहीं लिया जाएगा