पोषण 2.0, जिसे मिशन पोषण 2.0 भी कहा जाता है, भारत सरकार की एक समग्र पोषण समर्थन योजना है, जिसका उद्देश्य बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं में कुपोषण की समस्या को समाप्त करना है। यह योजना महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा 2021 में शुरू की गई थी और 2025-26 तक लागू रहेगी।
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🍼 पोषण 2.0 की प्रमुख विशेषताएँ
- लक्षित पोषण वितरण: पोषण 2.0 के तहत, आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों और माताओं को 600 कैलोरी और 18-20 ग्राम प्रोटीन युक्त पोषण सामग्री प्रदान की जाती है।
- डिजिटल निगरानी प्रणाली: जुलाई 2025 से, पोषण सामग्री के वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए चेहरे की पहचान प्रणाली (Face Recognition System) लागू की गई है। इससे लाभार्थियों की पहचान सुनिश्चित होती है और पोषण सामग्री सही व्यक्ति तक पहुँचती है।
- लाभार्थी पंजीकरण में सुधार: अगस्त 2025 से, पोषण 2.0 के तहत नए लाभार्थियों का पंजीकरण बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के माध्यम से किया जाएगा, जिससे सेवा वितरण में सुधार होगा।
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👩👧 मातृ पोषण में सुधार
- गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण: जुलाई 2025 तक, पोषण ट्रैकर के माध्यम से 72.22 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण किया गया है।
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY): इस योजना के तहत, 1 जनवरी 2017 से 31 जुलाई 2025 तक 4.05 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को मातृत्व लाभ प्रदान किया गया है। Press Information Bureau
🏫 आंगनवाड़ी सेवाओं का उन्नयन
- आंगनवाड़ी केंद्रों का उन्नयन: झारखंड राज्य में 16,775 आंगनवाड़ी केंद्रों को प्ले स्कूल के रूप में उन्नत किया जा रहा है, जिसमें ₹1 लाख प्रति केंद्र की राशि दी जा रही है।
- आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण: पोषण भी पढ़ाई भी (Poshan Bhi Padhai Bhi) पहल के तहत, 41,402 मास्टर ट्रेनर्स और 5,81,326 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है।
📞 शिकायत निवारण और जागरूकता

- हेल्पलाइन सेवा: मिशन पोषण 2.0 और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत, 14408 टोल-फ्री हेल्पलाइन सेवा शुरू की गई है, जो बहुभाषी शिकायत निवारण प्रदान करती है।
- राष्ट्रीय पोषण माह 2025: सितंबर 2025 में आयोजित होने वाला 7वाँ राष्ट्रीय पोषण माह, एनीमिया नियंत्रण, वृद्धि निगरानी, पूरक आहार, और “पोषण भी पढ़ाई भी” जैसे विषयों पर जागरूकता फैलाएगा। Bal Raksha Bharat
निष्कर्ष: पोषण 2.0 योजना के तहत, बच्चों और माताओं के पोषण में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। डिजिटल तकनीकी, उन्नत आंगनवाड़ी सेवाएँ, और व्यापक प्रशिक्षण से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि पोषण सामग्री सही व्यक्ति तक पहुँचे और कुपोषण की समस्या को समाप्त किया जा सके।
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