प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त–1 सितंबर 2025 को तियानजिन, चीन में SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं—यह उनकी चीन की पहली यात्रा है 2020 के Galwan टकराव के बाद। इस यात्रा का महत्व बढ़ता है अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापार तनाव के बीच।
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नवीनतम अपडेट: मोदी की चीन यात्रा
यात्रा का सारांश
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा का ऐलान किया गया है, जो 7 वर्ष बाद फिर से हो रही है। यह यात्रा 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक के लिए तियानजिन में होने वाले SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए है
- यह यात्रा 2018 के बाद पहली है, और उसके बाद 2020 में गालवन घाटी की घटना के कारण सीमाई तनाव के बीच संबंधों में ठहराव आ गया था
कूटनीतिक और रणनीतिक संदर्भ
- पिछले कुछ महीनों में, भारत-चीन ने कई उच्च स्तरीय वार्ता की। इनमें सीमा विवाद, नीतिगत संवाद और कंफ़िडेंस-बिल्डिंग प्रमुख रहे हैं
- विशेष रूप से, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल, विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से चीनी counterparts ने बातचीत की है
- हालांकि पूर्ण सामान्यीकरण अभी शेष है, जैसे कि प्रत्यक्ष उड़ानों का बहाल होना अभी नहीं हुआ है
भौगोलिक-राजनीतिक पृष्ठभूमि
- यह यात्रा अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ, और भारतीय तेल और व्यापार रणनीतियों के बीच तनाव भरे समय पर की जा रही है
- चीन ने भारत के टैरिफ के प्रति रुख का समर्थन किया है, जो एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक संकेत है
- SCO सम्मेलन के एजेंडे में आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापार और ऊर्जा शामिल रह सकते हैं
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