जानें 2025/2026 के नए GST रेट्स के बारे में। कौन‑सी चीज़ें सस्ती होंगी, कौन‑सी महँगी होंगी और व्यापारियों व उपभोक्ताओं पर इसका क्या असर पड़ेगा।
22 सितंबर 2025 से भारत में GST 2.0 लागू हो गया है, जिसमें टैक्स स्लैब्स (GST दरों) में बड़े बदलाव किए गए हैं। ये बदलाव आम आदमी, व्यापारियों और उद्योगों की परेशानियों को कम करने के उद्देश्य से हैं। इस ब्लॉग में जानेंगे कि कौन-सी वस्तुएँ सस्ती होंगी, कौन-सी महँगी होंगी, और इन परिवर्तनों का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव क्या है।
⚙️ शासन एवं बदलाव की पृष्ठभूमि

- GST Council ने 56वीं बैठक में निर्णय लिया कि टैक्स स्लैब स्ट्रक्चर को सरल बनाया जाए।
- पुराने चार मुख्य स्लैब (5%, 12%, 18%, 28%) को अब दो मुख्य स्लैब में समाहित किया गया है: 5% और 18%।
- एक उच्च दर 40% स्लैब भी पेश की गई है, जो ‘luxury’ और ‘sin goods’ जैसे सामानों पर लागू होगी।
📉 क्या सस्ता हुआ है?
नीचे कुछ प्रमुख वस्तुएँ और सेवाएँ हैं, जिनकी लागत अब कम होगी:
श्रेणी | पहले टैक्स दर | अब नई दर / स्थिति | मुख्य बदलाव और उदाहरण |
---|---|---|---|
खाद्य/दैनिक आवश्यकताएँ | 12-18% या 18-28% | 5% या 0% | जैसे नमकीन, मिठाइयाँ, दूध-मसाले, घी, बटर आदि सस्ते होंगे; गांव/शहरों में इनका खर्च कम होगा। |
इलेक्ट्रॉनिक्स और उपभोक्ता उपकरण | 28% | 18% | टीवी, AC, वाशिंग मशीन आदि की कीमतों में गिरावट। |
छोटे-गाड़ियाँ (Small Cars) | 28% (plus पुराने cess आदि) | 18% | कुछ कार मॉडल्स की कीमत में बड़े कट लगेंगे। |
बीमा-प्रिमियम (Life & Health Insurance) | 18% | GST मुक्त (0%) | अब जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर टैक्स नहीं लगेगा। |
शिक्षा-सामग्री, स्टेशनरी | 12-18% | 0% | नोटबुक, किताबें, पेंसिल, इरेज़र आदि अब जीरो टैक्स श्रेणी में आए हैं। |
📈 क्या महँगा होगा?
कुछ सामान अब ज्यादा टैक्स में आएँगे, या महँगे हो सकते हैं:
- लक्ज़री और सिन गुड्स जैसे कि पान मसाला, तम्बाकू, गुटखा, महँगी कारें आदि, अब 40% टैक्स स्लैब में आएँगे।
- कपड़े (विशेष रूप से जो कीमत ₹2,500 से ऊपर हैं) पर अब 18% टैक्स लगेगा, जो कि पहले 12% हुआ करता था।
🔍 आम जनता और व्यापारियों पर असर

जनता को क्या लाभ होगा?
- दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतों में कमी।
- मध्य और निम्न-आय वर्ग विशेष रूप से राहत महसूस करेगा।
- त्योहारों और शॉपिंग सीज़न में उपभोक्ता खर्च बढ़ सकता है क्योंकि जरूरत का सामान सस्ता हो गया है।
व्यापारियों और उद्योगों पर प्रभाव
- इन्वेंटरी की कीमत निर्धारण बदलना पड़ेगा (पैकिंग, MRP आदि)।
- पुराने स्टॉक और नए स्टॉक के बीच दरों का अंतर प्रबंधन करना ज़रूरी होगा।
- व्यापार में compliance सरल होगी क्योंकि टैक्स स्लैब कम हो गए हैं।
⚖️ कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और क्लारिफिकेशन
- यदि मोबाइल फोन, टीवी आदि आपके पास पहले से है, लेकिन invoice नए दरों के बाद जारी करें, तो कौन सी दर लगेगी? → Time of supply नियम तय करेगा कि कौन सी दर लागू होगी।
- क्या आयात (imported goods) पर नई दर लागू होगी? → हाँ, आयात पर भी नए दर लागू होंगे, जहाँ कोई विशिष्ट छूट ना हो।
🧭 निष्कर्ष

GST 2.0 के ये बदलाव बड़े पैमाने पर राहत देने वाले हैं। विशेष रूप से दैनिक जीवन की वस्तुएँ, दैनिक सेवाएँ, घरेलू उपकरण और छोटे-वाहन मालिकों को फायदा होगा। हालांकि, जो उत्पाद लक्ज़री श्रेणी में आते हैं, वे अब अधिक टैक्स झेलेंगे।
सरकार की कोशिश है टैक्स प्रणाली को सरल, पारदर्शी और लोगों-के अनुकूल बनाना। आने वाले महीनों में ये परिवर्तन खुद को अर्थव्यवस्था में और बेहतर तरीके से दिखाएँगे—ख्शुदरा (retail) में, कारोबारियों के व्यवसाय मॉडल में, और प्रति-आय व्यक्ति के खर्च में।
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