“हर युग में एक कर्बला होती है और हर ज़माने में एक हुसैन चाहिए।”
🗓️ Muharram 2025 कब है?
इस्लामी हिजरी कैलेंडर के अनुसार साल 1447 हिजरी का पहला महीना मुहर्रम 6 जुलाई 2025 से शुरू होगा। आशूरा, यानी मुहर्रम की 10वीं तारीख, 15 जुलाई 2025 (मंगलवार) को मनाई जाएगी।
मुहर्रम, केवल इस्लामिक नया साल नहीं, बल्कि यह महीना सब्र (धैर्य) और कुर्बानी (बलिदान) का प्रतीक है।
📖 मुहर्रम का इतिहास और महत्व
मुहर्रम विशेष रूप से कर्बला की त्रासदी के लिए जाना जाता है।
सन् 680 ईस्वी में इराक के कर्बला मैदान में पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन (र.अ.) ने अपने परिवार और 72 साथियों सहित यज़ीद की तानाशाही के खिलाफ लड़ते हुए शहादत दी।
यह कोई साधारण युद्ध नहीं था – यह सत्य और अन्याय के बीच टकराव था। इमाम हुसैन ने भूख, प्यास और शारीरिक पीड़ा सहकर भी सत्य के मार्ग को नहीं छोड़ा। उनका बलिदान आज भी पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा है।
🕋 शिया और सुन्नी समुदायों की परंपराएं
- शिया समुदाय इस महीने में शोक मनाता है, काले कपड़े पहनता है, मातम करता है और ताजिए बनाकर जुलूस निकालता है।
- सुन्नी समुदाय इबादत, रोज़े, नमाज़ और दान के ज़रिये इस महीने को पवित्र मानता है।
आशूरा के दिन रोज़ा रखना और दीन-दुनिया की सलामती की दुआ करना भी एक अहम परंपरा है।
🕊️ मुहर्रम का संदेश
मुहर्रम केवल शोक नहीं, बल्कि एक चेतावनी है—कि जब भी अन्याय हो, इंसानियत पर संकट हो, तो हुसैनी सोच ज़िंदा रहनी चाहिए।
यह महीना हमें यह सिखाता है कि
“सच के लिए लड़ो, भले ही अकेले क्यों न हो।”
🇮🇳 भारत में मुहर्रम का सामाजिक स्वरूप
भारत में मुहर्रम एक धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है। कई राज्यों में ताजिया जुलूसों में हिंदू-मुस्लिम दोनों शामिल होते हैं। यह त्योहार एकता का परिचायक बन गया है, जहाँ धर्म से ऊपर इंसानियत को रखा जाता है।
📌 क्या करें – क्या न करें
✅ गरीबों की मदद करें
✅ इबादत करें, रोज़ा रखें
✅ शांतिपूर्ण जुलूस में भाग लें
❌ अफवाहों से बचें
❌ किसी भी धार्मिक भावना को ठेस पहुँचाने वाला व्यवहार न करें
🧠 निष्कर्ष
मुहर्रम 2025 हमें याद दिलाता है कि धर्म का असली अर्थ है – सत्य, न्याय और इंसानियत के लिए खड़ा होना।
हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानी आज भी बताती है कि ज़ालिम चाहे कितना भी ताक़तवर हो, अंत में जीत हक़ (सत्य) की ही होती है।
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