भारत की संसद ने 11 अगस्त 2025 को मर्चेंट शिपिंग बिल 2025 को मंजूरी दी, जो भारतीय समुद्री कानूनों में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यह विधेयक 1958 के पुराने मर्चेंट शिपिंग एक्ट की जगह लेगा और भारतीय समुद्री उद्योग को वैश्विक मानकों के अनुरूप आधुनिक बनाएगा।
🧭 विधेयक के प्रमुख प्रावधान
- स्वामित्व मानदंडों का विस्तार: यह विधेयक वाणिज्यिक जहाजों के स्वामित्व के लिए पात्रता मानदंडों को विस्तृत करता है, जिससे अधिक भारतीय नागरिक और संस्थाएं समुद्री व्यापार में भाग ले सकेंगी।
- नौसैनिक दुर्घटनाओं की जांच: समुद्री दुर्घटनाओं की जांच और पूछताछ के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान किए गए हैं, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
- नागरिकता के बिना जहाजों की गिरफ्तारी: केंद्र सरकार को भारतीय जलक्षेत्र में नागरिकता के बिना जहाजों को गिरफ्तार करने का अधिकार प्राप्त होगा, जिससे समुद्री सुरक्षा में सुधार होगा।
- आधुनिक और लचीला कानूनी ढांचा: विधेयक भारतीय समुद्री क्षेत्र की वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, जिससे यह लचीला और समकालीन बनेगा।
🌐 वैश्विक मानकों के अनुरूप
यह विधेयक भारत को अंतरराष्ट्रीय समुद्री संधियों और प्रथाओं के अनुरूप लाने में मदद करेगा, जिससे भारतीय समुद्री उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी और वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति मजबूत होगी।
📌 निष्कर्ष

मर्चेंट शिपिंग बिल 2025 भारतीय समुद्री क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, जो न केवल पुराने कानूनों को आधुनिक बनाता है, बल्कि समुद्री सुरक्षा, व्यापारिक सुगमता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्वपूर्ण सुधार लाता है। यह विधेयक भारत को एक प्रमुख समुद्री राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
Also Read;
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: 35 लाख किसानों के खाते में ₹3,900 करोड़ की पहली किस्त का ट्रांसफर