⏳ ‘₹10,000/घंटा’ और ‘₹500 बचाने की बेचैनी’
Kunal Shah: हाल में Forbes और Moneycontrol से बातचीत में कुणाल ने कहा कि ज्यादातर भारतीय “समय का मूल्य” नहीं समझते।
“₹10,000 प्रति घंटा कमाने वाले लोग एक घंटा खराब कर देते हैं सिर्फ ₹500 बचाने के चक्कर में” – शाह ने स्पष्ट और जोरदार रूप में यह बात कही
Kunal Shah
👩💼 महिला कर्मचारियों की कमी और आर्थिक मंदी
उन्होंने चीन में हुई अपनी यात्राओं और मीटिंग्स के अनुभव साझा करते हुए बताया कि वहां कर्मचारियों में महिलाओं का अनुपात बहुत अधिक था। इसके विपरीत, भारत में महिला मजदूरों की भागीदारी बहुत कम है, जो देश की प्रति‑व्यक्ति आय और आर्थिक विकास में बड़ी बाधा है ।
🚀 स्टार्टअप संस्कृति पर खुलकर विचार
- शाह ने May 2025 में Bengaluru में कहा कि भारत में “उत्कृष्टता की संस्कृति अभी बननी बाकी है”।
वे बताते हैं कि कई कंपनियां जल्दी तुलना करती हैं, बिना अपनी क्षमता को मजबूत करे - उन्होंने Storyboard18 में “founders worship” पर किया ध्यान आकर्षित, और कहा कि लोग संस्थापकों को कभी भगवान की तरह पूजते हैं, फिर उनसे निराशा होने पर उनसे हट जाते हैं
📉 नुकसान‑फायदे का संतुलन – आलोचना और प्रतिक्रिया
एक Deloitte सलाहकार ने उल्लेख किया कि FreeCharge और CRED ने अब तक ₹5,215 करोड़ का नुकसान उठाया है और अभी तक कोई स्थिर लाभ नहीं हुआ। उन्होंने सवाल उठाया – “क्यों इस तरह के पैमाने को हम सफलता मानते हैं?”
✔️ कुणाल शाह का जवाब
शाह ने जवाब में कहा कि सफल उद्यमी “जो जोखिम लेते हैं और एक नई दिशा खोलते हैं” उन्हें मनाया जाना चाहिए।
वे कहते हैं:
“हमें उन हजारों उद्यमियों को भी सलाम करना चाहिए जो बाहरी पूँजी के बिना लाभदायक कंपनियाँ चला रहे हैं” ।
💰 सी + राउंड, बढ़ती रेवेन््यू और गिरती वैल्यूएशन
CRED ने मई 2025 में आंतरिक फंडिंग राउंड में $75 मिलियन जुटाए, जिसमें कुणाल शाह ने खुद ~$20 मिलियन निवेश किया।
FY24 में कंपनी की आय ₹2,473 करोड़ रही और ऑपरेटिंग घाटा ₹609 करोड़, जो पहले की तुलना में कम है
🌐 निष्कर्ष: विचार, प्रभाव और राह
कुणाल शाह की हालिया टिप्पणियाँ सिर्फ व्यवसाय की बातें नहीं हैं—यह समय, लिंग समानता, और भारत की आर्थिक सोच पर गंभीर विचार हैं।
उनका संदेश साफ़ है:
- अपने समय का सही हिसाब रखें
- महिला सशक्तिकरण से विकास में तेजी लाएं
- स्टार्टअप्स में दीर्घकालिक उत्कृष्टता की संस्कृति अपनाएं
🔎 इन बिंदुओं से स्पष्ट होता है कि शाह केवल एक फिनटेक उद्यमी नहीं, बल्कि समाज‑विचारक और बदलाव में चालक हैं।
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