जन्माष्टमी 2025 पर मथुरा और वृंदावन में होने वाले विशेष कार्यक्रम, भव्य झांकियां, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां और पूजा-अर्चना की पूरी जानकारी यहां पढ़ें।
रासलीला और सांस्कृतिक मंचन
जन्माष्टमी से 10 दिन पहले से ही मोक्ष नगरी वृंदावन में रासलीला और कृष्ण लीला का मंचन शुरू हो जाता है। स्थानीय कलाकार इन चित्रों को बेहद श्रद्धा और नाटकीयता से प्रस्तुत करते हैं, जो भक्तों के हृदयों में आध्यात्मिक आनंद भर देते हैं।
मंदिर झांकियां और अलौकिक सजावट
मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर विशेष रूप से सुंदर रूप में सजाए जाते हैं—फूलों की माला, रंग-बिरंगी लाइट्स और झांकियों से इन मंदिरों का दिव्यता से भरपूर स्वरूप भक्तों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
मध्यरात्रि की आरती और अभिषेक
बाली रात 12 बजे, यानी श्रीकृष्ण के जन्म के समय, मंदिरों में अभिषेक, आरती और भजन-कीर्तन की धूम मची रहती है। दूध, दही, शहद से की जाने वाली पंचामृत अभिषेक सबसे अधिक करिश्माई और भक्तिभावपूर्ण अनुष्ठान होता है।
दही-हांडी और चरणों की भक्ति
मथुरा-वृंदावन में ‘दही-हांडी’ उत्सव भी विशेष महत्व रखता है। भक्तगण मानव श्रृंखला बनाकर ऊँची मटकी फोड़ने की कोशिश करते हैं—यह श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रतीक है।
नंदोत्सव और परिक्रमा
जन्माष्टमी के अगले दिन नंदोत्सव मनाया जाता है—भगवान के जन्मोत्सव की खुशियाँ बांटने के लिए नवजात कृष्ण के पालक नंद बाबा ने आसपास लड्डू और प्रसाद वितरित किया था। भक्त इस दिन विशेष परिक्रमा (परिक्रमा पथ) निकालते हैं।
पवित्र स्थल: भक्तों की यात्रा के केंद्र

- Krishna Janmabhoomi Temple (Mathura): महत्त्वपूर्ण मध्यरात्रि अभिषेक के लिए केन्द्र।
- Banke Bihari Temple (Vrindavan): झूमती हुई ठहराव वाली आरती और दर्शन محور।
- ISKCON Temple (Vrindavan): कृति कीर्तन और आध्यात्मिक संगीत का केन्द्र।
- Radha Damodar Temple: भक्तों के लिए विशेष पूजा और शांत वातावरण।
- Nidhivan: माना जाता है कि कृष्ण-राधा की रासलीला रात में होती है, रात को यहाँ प्रवेश वर्जित है।
सारांश तालिका
पहलू | विवरण |
---|---|
तनावविहीन प्रवाह | रासलीला, झांकी, आरती और दही-हांडी जैसे कई उत्सव |
प्रमुख मंदिर | जन्मभूमि, बांके बिहारी, ISKCON, राधा मदनमोहन |
उत्सव का चरम | मध्यरात्रि अभिषेक और मंगला आरती का कार्यक्रम |
विशिष्ट स्थल | Nidhivan जैसे पवित्र स्थल भक्तों को दर्शन की अनुमति नहीं |
निष्कर्ष

मथुरा-वृंदावन का जन्माष्टमी उत्सव, भक्ति, संस्कृति और आध्यात्मिकता का अद्वितीय संगम है। चाहे रासलीला हो या दही-हांडी, इन तमाम अनुष्ठानों से स्पष्ट होता है कि यह पर्व जीवन में आनन्द, भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा भरने का अद्भुत अवसर है।
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