भारत सरकार ने भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। इस योजना का उद्देश्य दिसंबर 2025 तक देशभर में भूमि अभिलेखों को पूरी तरह से डिजिटलीकरण करना है, जिससे भूमि विवादों में कमी आएगी और प्रशासनिक पारदर्शिता में वृद्धि होगी।
📌 योजना की मुख्य विशेषताएँ:
- डिजिटलीकरण की स्थिति: वर्तमान में, 99.8% भूमि अभिलेखों और 97.3% काडेस्ट्रल मानचित्रों को डिजिटलीकरण किया जा चुका है।
- कंप्यूटराइजेशन: देशभर के सभी उप-रजिस्ट्रार कार्यालयों को पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड किया जा चुका है।
- उद्देश्य: इस पहल का मुख्य उद्देश्य भूमि अधिकारों की पारदर्शिता बढ़ाना, भूमि उपयोग को अनुकूलित करना और भूमि विवादों को कम करना है।
🌐 योजना का क्षेत्रीय विस्तार:
हालांकि यह योजना देशभर में लागू की जा रही है, लेकिन पूर्वोत्तर राज्य और लद्दाख को फिलहाल इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। इन क्षेत्रों में भूमि स्वामित्व संरचनाएँ अलग हैं, जिससे डिजिटलीकरण में चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
🛠️ तकनीकी पहल:
- डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम: यह कार्यक्रम 2016 में शुरू किया गया था और इसका उद्देश्य भूमि अभिलेखों को डिजिटलीकरण करना और एक केंद्रीकृत भूमि अभिलेख प्रबंधन प्रणाली विकसित करना है।
- साम्पदा 2.0: मध्य प्रदेश सरकार ने अक्टूबर 2024 में साम्पदा 2.0 नामक एक डिजिटल भूमि पंजीकरण सॉफ़्टवेयर लॉन्च किया था, जिसे हाल ही में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस स्वर्ण पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया है।
🧭 भविष्य की दिशा:
सरकार का लक्ष्य भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण के माध्यम से भूमि सुधारों को सक्षम बनाना है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। यह पहल भूमि अधिकारों की स्पष्टता, प्रशासनिक पारदर्शिता और भूमि उपयोग की दक्षता में सुधार करेगी।
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