जानें कैसे Blockchain तकनीक भारत के Direct Benefit Transfer (DBT) सिस्टम को सुरक्षित, पारदर्शी और तेज़ बना रही है। लाभार्थियों तक धोखाधड़ी रहित भुगतान का भविष्य।
भारत में सरकारी लाभ और सब्सिडी सीधे लोगों के बैंक खातों में पहुंचाने का सिस्टम, Direct Benefit Transfer (DBT), वर्षों से लागू है। यह प्रणाली भ्रष्टाचार और लीक को कम करने के लिए डिज़ाइन की गई है। लेकिन अब Blockchain तकनीक के आने से DBT प्रणाली और भी सुरक्षित, पारदर्शी और भरोसेमंद बन सकती है।
DBT क्या है?

DBT का मतलब है Direct Benefit Transfer, यानी सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में ट्रांसफर किया जाना। यह नकद लेन-देन को कम करता है और सुनिश्चित करता है कि लाभ सही व्यक्ति तक पहुंचे।
मुख्य उदाहरण:
- LPG सब्सिडी (Pradhan Mantri Ujjwala Yojana)
- किसान सम्मान निधि (PM-Kisan)
- छात्रवृत्ति और पेंशन
DBT में मौजूदा समस्याएँ
हालांकि DBT सिस्टम ने भ्रष्टाचार कम किया है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ हैं:
- डाटा हैकिंग और साइबर फ्रॉड – कभी-कभी बैंक डाटा और पहचान की चोरी के मामले सामने आते हैं।
- लेन-देन की ट्रेसिंग मुश्किल – किसी भी भुगतान की पूरी जानकारी तुरंत उपलब्ध नहीं होती।
- मैनुअल एरर – डेटा एंट्री में गलतियाँ होने पर लाभार्थी को नुकसान हो सकता है।
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Blockchain से DBT में सुधार
Blockchain एक डिजिटल लेजर है जो लेन-देन को सुरक्षित और ट्रेस करने योग्य बनाता है। इसे DBT में शामिल करने से कई फायदे हो सकते हैं:
1. पारदर्शिता बढ़ाना
हर लेन-देन Blockchain पर रिकॉर्ड होता है और इसे बदलना असंभव होता है। इसका मतलब है कि हर सरकारी भुगतान का ट्रैक हमेशा उपलब्ध रहेगा।
2. सुरक्षा सुनिश्चित करना
Blockchain में डेटा एनक्रिप्टेड होता है। इससे लाभार्थियों की पहचान और बैंक डिटेल्स चोरी या हैक होने से सुरक्षित रहती हैं।
3. लेन-देन में तेजी
Blockchain तकनीक से भुगतान प्रक्रिया ऑटोमेटेड और तेज़ हो सकती है। इससे लाभार्थियों को तुरंत पैसा मिल सकता है।
4. धोखाधड़ी रोकना
डुप्लिकेट या गलत लाभार्थी को भुगतान करना लगभग असंभव हो जाता है। हर ट्रांज़ैक्शन सत्यापित और रिकॉर्डेड होता है।
भारत में संभावित उपयोग
भारत सरकार डिजिटल इंडिया मिशन और DBT के माध्यम से Blockchain को पायलट प्रोजेक्ट्स में शामिल करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
- राशन कार्ड सिस्टम और PDS में Blockchain
- किसान निधि और सब्सिडी भुगतान की सत्यता सुनिश्चित करना
- पेंशन और छात्रवृत्ति के भुगतान में मैनुअल एरर कम करना
निष्कर्ष

DBT प्रणाली में Blockchain का इस्तेमाल भ्रष्टाचार कम करने, सुरक्षा बढ़ाने और भुगतान प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। जैसे-जैसे भारत डिजिटल तकनीक में अग्रसर हो रहा है, DBT और Blockchain का संगम भविष्य की सरकार और नागरिकों के बीच भरोसे का नया मॉडल तैयार करेगा।
FAQ – Direct Benefit Transfer (DBT) में Blockchain का इस्तेमाल
Q1. DBT में Blockchain क्यों इस्तेमाल किया जा रहा है?
A: Blockchain तकनीक DBT सिस्टम में लेन-देन की पारदर्शिता बढ़ाने, धोखाधड़ी रोकने और सरकारी लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुँचाने के लिए इस्तेमाल की जा रही है।
Q2. Blockchain DBT को कितना सुरक्षित बनाता है?
A: Blockchain एक विकेन्द्रीकृत और अपरिवर्तनीय (immutable) रिकॉर्ड बनाता है। इसका मतलब है कि कोई भी फर्जी लेन-देन या डेटा छेड़छाड़ नहीं कर सकता, जिससे DBT अधिक सुरक्षित बन जाता है।
Q3. DBT में Blockchain के मुख्य फायदे क्या हैं?
A:
- पारदर्शिता: सभी लेन-देन का रिकॉर्ड सार्वजनिक और ट्रेस करने योग्य होता है।
- धोखाधड़ी रोकथाम: फर्जी खाते या लाभार्थियों के लिए सिस्टम को हैक करना मुश्किल होता है।
- तेज़ और सटीक भुगतान: लाभार्थियों तक तुरंत और सुरक्षित भुगतान किया जा सकता है।
- कॉस्ट-कटिंग: मध्यस्थों की जरूरत कम होती है, जिससे सरकारी खर्च कम होता है।
Q4. Blockchain DBT में कैसे काम करता है?
A: जब कोई लाभार्थी DBT प्राप्त करता है, तो लेन-देन की जानकारी Blockchain में दर्ज हो जाती है। यह रिकॉर्ड सभी नोड्स पर सुरक्षित रहता है और किसी भी समय सत्यापित किया जा सकता है।
Q5. क्या भारत में DBT में Blockchain पहले से लागू है?
A: भारत सरकार ने कई पायलट प्रोजेक्ट्स में Blockchain का परीक्षण किया है। उदाहरण के लिए, राशन कार्ड और PDS (Public Distribution System) में Blockchain का प्रयोग धोखाधड़ी कम करने के लिए किया जा रहा है।
Q6. भविष्य में DBT और Blockchain का संबंध कैसा होगा?
A: आने वाले वर्षों में Blockchain DBT को और अधिक तेज़, पारदर्शी और सुरक्षित बनाएगा। इससे लाभार्थियों तक लाभ पहुंचने की प्रक्रिया सरल और भरोसेमंद होगी।
Q7. क्या Blockchain DBT में सभी सरकारी योजनाओं पर लागू किया जा सकता है?
A: हाँ, आदर्श रूप में सभी वित्तीय लाभ वितरण योजनाओं, जैसे LPG subsidy, MNREGA भुगतान, छात्रवृत्ति आदि में Blockchain का इस्तेमाल किया जा सकता है।
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