दुनिया की अर्थव्यवस्था हमेशा युद्ध (War) और भू-राजनीति (Geopolitics) से प्रभावित रही है। 2026 तक अंतरराष्ट्रीय तनाव और गठबंधन बदलते रहेंगे, जिनका सीधा असर ग्लोबल फाइनेंस, निवेश, स्टॉक मार्केट और करेंसी मूवमेंट्स पर होगा।
Contents
1. ऊर्जा बाजार (Energy Markets) पर असर

- युद्ध और भू-राजनीतिक संकटों का सबसे बड़ा असर ऑयल और गैस की कीमतों पर दिखेगा।
- 2026 में अगर मध्य-पूर्व या रूस-यूरोप क्षेत्र में कोई बड़ा टकराव होता है तो क्रूड ऑयल प्राइस 120 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जा सकता है।
- इसका सीधा असर भारत और एशियाई अर्थव्यवस्थाओं पर होगा।
2. करेंसी और फॉरेक्स मार्केट

- जियोपॉलिटिकल तनाव बढ़ने पर डॉलर और स्विस फ्रैंक जैसे सुरक्षित करेंसी मजबूत होंगे।
- भारत, चीन और उभरते बाजारों की करेंसी पर दबाव बढ़ सकता है।
- 2026 में CBDC (Central Bank Digital Currency) के आने से करेंसी वॉर और दिलचस्प हो जाएगा।
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3. ग्लोबल स्टॉक मार्केट्स

- युद्ध या बड़े सैन्य टकराव के समय निवेशक रिस्क ऑफ मोड में चले जाते हैं।
- डिफेंस, साइबर सिक्योरिटी और एनर्जी सेक्टर के स्टॉक्स में तेजी आ सकती है।
- वहीं टूरिज्म, एविएशन और लग्ज़री गुड्स पर असर नकारात्मक होगा।
4. सप्लाई चेन और ट्रेड वॉर

- 2026 तक US–China ट्रेड टेंशन एक बड़े जियोपॉलिटिकल मुद्दे के रूप में बना रह सकता है।
- इससे सप्लाई चेन फाइनेंस, शिपिंग कॉस्ट और ग्लोबल ट्रेड फ्लो प्रभावित होंगे।
- निवेशक ज्यादा रीजनल सप्लाई चेन और फ्रेंडशोरिंग पर भरोसा करेंगे।
5. गोल्ड और क्रिप्टो में शरण

- अनिश्चितता के समय गोल्ड हमेशा से सबसे सुरक्षित निवेश रहा है।
- 2026 में युद्ध की आशंका बढ़ने पर गोल्ड और बिटकॉइन दोनों निवेशकों की पसंद बनेंगे।
निष्कर्ष
2026 में युद्ध और भू-राजनीति का असर ग्लोबल फाइनेंस पर गहरा होगा।
- ऊर्जा कीमतें, करेंसी उतार-चढ़ाव, स्टॉक मार्केट वॉलेटिलिटी और सप्लाई चेन डिसरप्शन मुख्य ट्रिगर होंगे।
- निवेशकों को गोल्ड, डिफेंस स्टॉक्स और डिजिटल करेंसी जैसे सेफ हेवन एसेट्स पर नज़र रखनी होगी।
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