अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ और रूस से हथियार व तेल की खरीद पर जुर्माना लगाने की घोषणा की। जानिए इस निर्णय का भारत-अमेरिका व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
Contents
📰 1. ट्रंप की ताज़ा घोषणा: टैरिफ + पेनल्टी
- 30 जुलाई 2025 को, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि 1 अगस्त 2025 से भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा। यह कदम भारत-यूएस व्यापार वार्ता में गतिरोध और निकट समझौते न होने के कारण उठाया गया है।
- साथ ही, भारत को रूस से हथियार और तेल की खरीद के लिए एक अतिरिक्त अविशिष्ट ‘penalty’ भी भुगतना होगा, जिसकी राशि और संरचना अभी सार्वजनिक नहीं हुई है।
🔍 2. वार्ता असफल: खेती, डेयरी व औषधि क्षेत्र विवादित
- भारत और अमेरिका के बीच कृषि व डेयरी आयात को लेकर सहमति नहीं बन पाई है—अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि क्षेत्र को अमेरिका के उत्पादों के लिए खोलें, लेकिन भारत ने गरीबी रेखा से जुड़े किसानों को बचाने के लिए साफ इनकार किया है।
- अमेरिका भारत को “tariff king” और “non-monetary trade barriers” का आरोप लगा रहा है, जबकि भारत ने इस विवाद के बाबत सीमित कटे मामलों के अलावा मुलाकात की पेशकश की है।

📈 3. क्या कुछ दायित्व बढ़ सकता है?
- ट्रंप ने संकेत दिया है कि यदि बातचीत असफल रही तो भारत या अन्य देशों पर 20–25% तक की उच्च टैरिफ लागू की जा सकती है, और 1 अगस्त की समय सीमा को निश्चित माना गया है — आगे बढ़ने की संभावना नहीं।
🏛️ 4. घरेलू प्रतिक्रिया एवं आर्थिक प्रभाव
- कांग्रेस सांसदों ने इस निर्णय को धमकीपूर्ण और व्यापार विरोधी कहा और भारतीय सरकार से भारत की स्थिति स्पष्ट करने की मांग की। कांग्रेस नेता Mallu Ravi ने इसे “धमकी जैसा कदम” बताया है।
- Federation of Indian Export Organisations (FIEO) की DG Ajay Sahai ने कहा कि यह फैसला “निराशाजनक” है क्योंकि इससे निर्यातक उद्योगों को भारी प्रभाव पड़ेगा।
🌐 5. कितना व्यापक आर्थिक असर?
- भारतीय निर्यातकों और अर्थव्यवस्था को गंभीर झटका लग सकता है, विशेषकर दवा, इंजीनियरिंग सामान, ऑटो पार्ट्स, वस्त्र और ज्वेलरी जैसे क्षेत्र प्रभावित होंगे।
- Citi Research के अनुसार, भारत को सालाना लगभग $7 अरब की आय की कमी हो सकती है। भारत की आंतरिक टैक्स समीक्षा मानती है कि कुल भारतीय-अमेरिकी निर्यात में से 87% प्रभावित हो सकते हैं, जिसका मूल्य $66 अरब से अधिक है।
🔁 6. दीर्घकालिक खतरा और अवसर
- यह ट्रेड तनाव दीर्घकाल में भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने और tariff rationalization की दिशा में कदम उठाने में मद्द कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की नीति में सुधार ला सकता है।
- साथ ही, इस कदम से Rupee पर दबाव और विदेशी निवेश में गिरावट की आशंका बनी हुई है, जिससे आर्थिक अस्थिरता हो सकती है।
📋 Quick Summary
मुद्दा | प्रमुख विवरण |
---|---|
टैरिफ दर | 25% (1 अगस्त से लागू) |
जुर्माना | अतिरिक्त unspecified penalty (रूस से आयात पर आधारित) |
अवरोधित वार्ता क्षेत्र | कृषि, डेयरी, फार्मा सम्बंधी बाज़ार सुविधाएँ नहीं खुली |
प्रभावित निर्यात क्षेत्र | Pharma, Auto Components, Engineering, Gems, Textiles आदि |
संभावित आर्थिक विकास | बिजनेस कमी, मुद्रा दबाव, FII आउटफ्लो |
दीर्घकालीन अवसर | नीति सुधार, प्रतिस्पर्धात्मक लाभ |
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