भारत में टैक्स प्लानिंग हमेशा से निवेशकों के लिए अहम विषय रहा है। 2026 में सरकार और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस टैक्स सेविंग के लिए नई योजनाएँ और स्कीमें लाने वाली हैं। ऐसे में निवेशकों के लिए यह समझना ज़रूरी है कि कौन से सेक्शन और कौन सी स्कीमें सबसे ज्यादा टैक्स राहत देंगी।
Contents
1. धारा 80C – पारंपरिक और नई स्कीमें

- 80C की लिमिट 1.5 लाख से बढ़कर संभावित रूप से 2 लाख तक हो सकती है।
- निवेश विकल्प:
- PPF (Public Provident Fund)
- ELSS (Equity Linked Savings Scheme)
- EPF (Employee Provident Fund)
- NSC (National Savings Certificate)
- जीवन बीमा प्रीमियम
- 2026 में ELSS और डिजिटल टैक्स-सेविंग फंड्स ज्यादा पॉपुलर होंगे।
2. धारा 80D – हेल्थ इंश्योरेंस और वेलनेस बेनिफिट्स

- हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स छूट।
- सीनियर सिटीज़न के लिए लिमिट और बढ़ सकती है।
- डिजिटल हेल्थ पैकेज और वेलनेस सब्सक्रिप्शन भी टैक्स डिडक्शन में शामिल हो सकते हैं।
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3. धारा 24(b) – होम लोन इंटरेस्ट

- होम लोन ब्याज भुगतान पर छूट।
- 2026 में अफोर्डेबल हाउसिंग के लिए अतिरिक्त राहत मिलने की संभावना।
- रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए सरकार टैक्स इंसेंटिव्स दे सकती है।
4. धारा 80E – शिक्षा लोन

- स्टूडेंट्स के लिए एजुकेशन लोन पर इंटरेस्ट छूट।
- 2026 तक इसमें ऑनलाइन कोर्सेज और इंटरनेशनल एजुकेशन को भी कवर किए जाने की उम्मीद।
5. नई सरकारी टैक्स सेविंग स्कीमें

- ग्रीन इन्वेस्टमेंट्स (Solar Bonds, EV Bonds) को टैक्स-सेविंग कैटेगरी में शामिल किया जा सकता है।
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और स्टार्टअप इन्वेस्टमेंट्स पर टैक्स इंसेंटिव्स।
- महिला निवेशकों और सीनियर सिटीज़न्स के लिए स्पेशल टैक्स रिबेट्स।
निष्कर्ष
2026 में टैक्स सेविंग सिर्फ पारंपरिक स्कीम्स तक सीमित नहीं रहेगी। नई सरकारी योजनाएँ, डिजिटल फंड्स और ग्रीन इन्वेस्टमेंट्स भी टैक्स सेविंग का अहम हिस्सा होंगे। निवेशकों को चाहिए कि वे लॉन्ग-टर्म और डायवर्सिफाइड इन्वेस्टमेंट्स चुनें ताकि टैक्स राहत के साथ-साथ अच्छा रिटर्न भी मिल सके।
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