श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पावन पर्व है, जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भक्त इस दिन व्रत, भजन-कीर्तन और मंदिर सजावट के साथ मध्यरात्रि में जन्मोत्सव मनाते हैं।
श्रीकृष्ण जन्म की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में जब पृथ्वी पर अत्याचार और अधर्म चरम पर था, तब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया।
मथुरा के राजा कंस ने अपनी बहन देवकी के आठवें पुत्र से भयभीत होकर उसे और उसके पति वासुदेव को कारागार में डाल दिया और उनके सात पुत्रों की हत्या कर दी।
आठवें पुत्र के जन्म की रात, भगवान ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे शिशु को गोकुल में नंद-यशोदा के पास पहुंचा दें। चमत्कार से कारागार के द्वार खुल गए और वासुदेव ने यमुना नदी पार करके बालकृष्ण को सुरक्षित पहुंचा दिया।
जन्माष्टमी 2025 की तिथि और पूजा मुहूर्त
- तिथि – 15 अगस्त 2025 (शुक्रवार)
- अष्टमी तिथि आरंभ – 15 अगस्त 2025 सुबह 11:57 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त – 16 अगस्त 2025 सुबह 10:41 बजे
- निशीथ पूजा मुहूर्त – रात 11:59 बजे से 12:45 बजे तक
- व्रत पारण समय – 16 अगस्त 2025 प्रातः 05:50 बजे के बाद
जन्माष्टमी का महत्व
- धार्मिक महत्व – यह दिन धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश का प्रतीक है।
- आध्यात्मिक महत्व – कृष्ण भक्ति से मनुष्य मोक्ष और जीवन में आनंद प्राप्त करता है।
- सांस्कृतिक महत्व – दही हांडी, रासलीला और झांकी जैसे आयोजन इस पर्व को रंगीन बनाते हैं।
जन्माष्टमी पर व्रत और पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- पूरे दिन फलाहार करें और भगवान का नाम स्मरण करें।
- घर या मंदिर में झांकी सजाएं और भगवान का श्रृंगार करें।
- निशीथ काल (रात 12 बजे) भगवान का जन्मोत्सव मनाएं।
- भोग में माखन-मिश्री, पंचामृत और फलों का प्रसाद चढ़ाएं।
विशेष आयोजन
- दही हांडी – माखन चोर श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की याद में।
- रासलीला – श्रीकृष्ण और गोपियों की प्रेम कथा का मंचन।
- झांकियां – कृष्ण जन्म और जीवन की झलकियां।
निष्कर्ष
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह भक्ति, प्रेम और सत्य की विजय का उत्सव है। भगवान कृष्ण की लीलाएं और उनके उपदेश आज भी हमें जीवन में धर्म और करुणा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
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