केरल की नर्स निमिषा प्रिया की यमन में होने वाली फांसी को भारत सरकार और मुस्लिम धार्मिक नेताओं के हस्तक्षेप से स्थगित कर दिया गया। जानिए पूरा मामला, ‘ब्लड मनी’ की संभावना और आगे की रणनीति।
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कौन हैं Nimisha Priya और क्या हुआ?
- Nimisha Priya, केरल की रहने वाली एक नर्स, को 2017 में यमन में अपने ज़मीनदार सहयोगी Talal Abdo Mahdi की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई थी
- उसे हत्या और शरीर को छिपाने के आरोप में 2020 में दोषी करार दिया गया, और अपील को 2023 में सशर्त रूप से ठुकरा दिया गया ।
🛑 फांसी टली! – इस कार्यवाही के पीछे की कहानी

1. समय पर भारत सरकार और धर्मगुरुओं की कूटनीतिक पहल
- फांसी 16 जुलाई 2025 के लिए तय थी, लेकिन दिव्यांग संगठन, मुस्लिम सलाहकार और विदेश मंत्रालय की संयुक्त कोशिशों से स्थगन हुआ ।
- मेंशन किया गया कि Grand Mufti of India, Kanthapuram AP Aboobacker Musliyar, ने यमन के धार्मिक अधिकारियों के साथ बातचीत की; उनका वार्तालाप Sheikh Habib Umar bin Hafiz तक पहुंचा
2. ‘Blood Money’ की संभावना
- यमनी कानून के अनुसार, हत्या के लिए परिवार ‘धमाया’ (Diyah) स्वीकार करके फांसी टाल सकता है।
- केंद्र सरकार और NGO ने Talal की फैमिली से वार्ता का अनुरोध किया, लेकिन परिवार ने फिलहाल ‘Qisas’ (प्रतिशोध आधारित सजा) की मांग पर ही जवाब दिया
3. डिप्लोमैटिक सीमाएं और चुनौती
- यमन में खानदानी या धार्मिक प्रभाव ही कारगर माध्यम बने हैं, क्योंकि भारत सरकारी रूप से वहां राजदूतावास नहीं रखता ।
- Attorney General R. Venkataramani ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार ने “जो भी संभव था” कर दिया और शीख़्स को संपर्क किया, लेकिन अधिक कुछ संभव नहीं था
📌 ताज़ा अपडेट – स्थिति अब कैसी है?
- यमन की अदालत ने 16 जुलाई की फांसी स्थगित की, आदेश 14 जुलाई को जारी हुआ ।
- CM Pinarayi Vijayan, विपक्षी नेता V D Satheesan, और एक्टिविस्ट्स ने इस कदम को मानवता व कूटनीतिक लाभ के रूप में स्वागत किया
- Nimisha का पति, Tomy Thomas जी, ने मीडिया से कहा – “हम संतुष्ट हैं, राहत महसूस होती है, उम्मीद है आगे की पहल जारी रहेगी”
- लेकिन Talal की फैमिली अभी भी ‘Qisas’ पर अड़ी हुई है, यानी केवल रक्तदंड स्वीकार्य है
👣 आगे का रास्ता क्या रहेगा?
- ‘Blood Money’ की वार्ता: Religious mediators और इंटरनैशनल काउंसलिंग ज़रूरी होगी।
- नया फांसी तिथि नहीं आई – भारत और धर्मगुरुओं की साझा कोशिश जारी।
- कोर्ट अथॉरिटी और मीडिया निगरानी: ये प्रक्रिया पारदर्शी व निष्पक्ष हो, ऐसी मांग उठी है।
- Human Rights का पक्ष: Amnesty और अन्य संस्थाएं यमन में मौत की सजा पर बल दे रही हैं।
📝 निष्कर्ष
Nimisha Priya की फांसी टली जरूर है, लेकिन अभी स्थिति स्थिर नहीं—यह स्थगन लंबित समाधान की दिशा में एक पल है। अगला कदम धार्मिक और कूटनीतिक संवाद होगा जो परिवार को ‘Diyah’ की ओर मनाने में सहायक हो सकता है। भारत सरकार और धार्मिक नेता पूरी शक्ति लगा रहे हैं, लेकिन परिवार की सहमति के बिना अंत तक पहुँचना मुश्किल रहेगा।
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