निमिषा प्रिया केस: केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जा सकती है। भारत सरकार राजनयिक और कानूनी प्रयासों में जुटी है, जबकि परिवार ब्लड मनी के ज़रिए बचाने की कोशिश कर रहा है।
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- केरल की नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई 2025 को यमन में फाँसी दी जा सकती है, यह जानकारी मानवाधिकार कार्यकर्ता सैमुएल जेरोम ने दी है। उनके मुताबिक जेल अधिकारियों ने यह तारीख औपचारिक रूप से निर्धारित कर दी है
- लेकिन, भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) और भारत के यमन स्थित राजदूतावास ने अभी तक इस आदेश की आधिकारिक पुष्टिकरण नहीं किया है ।
⚖️ मामले की पृष्ठभूमि
- निमिषा ने 2008 में यमन में नर्स के रूप में काम शुरू किया और बाद में सना’आ में क्लिनिक खोला। उनका व्यवसायी साथी तलाल अब्दो महदी था ।
- 2017 में तलाल की मृत्यु तब हुई जब निमिषा ने कथित तौर पर उनका पासपोर्ट वापस लेने के लिए sedative दिया था, जो ओवरडोज़ साबित हुआ
- मई 2020 में यमनी अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई, जिसे नवंबर 2023 में यमन की सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा ।
🇮🇳 भारत की प्रतिक्रिया और प्रयास
- MEA का कहना है कि सरकार घटना पर लगातार नज़दीकी निगरानी रख रही है और स्थानीय यमनी अधिकारियों, साथ ही परिवार से निरंतर संपर्क बनाए हुए है ।
- भारत सरकार और गैर-सरकारी संगठन “Save Nimisha Priya Action Council” वक़ीलों और कार्यकर्ताओं के माध्यम से “blood money” (दिया) की व्यवस्था करने की भी कोशिश कर रहे हैं — तलाल की परिवार से ये राशि मांगने के बावजूद अभी तक कोई सहमति नहीं बनी है
- सैमुएल जेरोम ने कहा कि “$1 मिलियन” की राशि ऑफ़र की गई है, मगर जवाब प्राप्त नहीं हुआ ।
🌍 मामले की संवेदनशीलता और चुनौतियाँ
- यमनी गृहयुद्ध के कारण साना’आ में हुती समूह के नियंत्रण में स्थित जेलों के साथ भारत का कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है ।
- निरंतर चल रहे राजनयिक, कानूनी और मानवीय दबाव के बावजूद अंतिम समय में रिहाई हेतु यह एक बहुत ही जटिल मामला बन गया है।
🎯 आगे की राह
- 16 जुलाई को क्या होगा — आख़िरी समय तक ‘blood money’ या राजनयिक समझौते के ज़रिए ही कुछ बदलाव की गुंजाइश बची है।
- MEA, मानवाधिकार कार्यकर्ता और परिवार द्वारा हर स्तर पर पहल जारी है।
- अगर अंतिम क्षण में भी कोई सकारात्मक डेवलपमेंट होता है, तो उसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तत्काल अपडेट किया जाएगा।
✅ निष्कर्ष
केरल की नर्स निमिषा प्रिया का यह मामला मानवीय संवेदनाओं, न्याय और अंतरराष्ट्रीय राजनयिक जटिलताओं का एक संवेदनशील उदाहरण है। 16 जुलाई तक हर स्तर पर उम्मीद और प्रयास जारी है।
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