महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) – डिजिटल एम्पावरमेंट और सफलता की कहानियाँ 2026 में। जानिए कैसे SHG महिलाएँ डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, ऑनलाइन मार्केटिंग और लोन से आत्मनिर्भर बन रही हैं।
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भारत में महिला स्वयं सहायता समूह (SHG) न केवल आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम हैं बल्कि डिजिटल इंडिया 2.0 के तहत महिलाओं को ऑनलाइन बिज़नेस और वित्तीय दुनिया से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 2026 में कई SHG अब डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन मार्केटिंग और माइक्रो-लोन के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं।
📌 महिला SHG का महत्व
- आर्थिक स्वतंत्रता
- महिलाओं को छोटे और मध्यम व्यवसाय (MSME) शुरू करने के लिए लोन और सब्सिडी।
- सामाजिक सशक्तिकरण
- समूह में मिलकर वित्तीय निर्णय लेना और आत्मनिर्भर बनना।
- डिजिटल इंटिग्रेशन
- UPI, मोबाइल बैंकिंग और e-RUPI से ऑनलाइन लेन-देन।
- ऑनलाइन मार्केटप्लेस से उत्पाद बेचने का अवसर।
🏆 सफलता की कहानियाँ (2026 अपडेट्स)
1. कुमारी संगीता – राजस्थान
- SHG के माध्यम से अचार और जैम का व्यवसाय शुरू।
- डिजिटल मार्केटिंग और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से पूरे भारत में बिक्री।
- तीन साल में ₹12 लाख का सालाना राजस्व।
2. लीला देवी – उत्तर प्रदेश
- महिला SHG के साथ सोलर लाइट निर्माण।
- e-RUPI और डिजिटल पेमेंट से सरकारी और निजी ऑर्डर।
- स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार और प्रशिक्षण।
3. सावित्री – महाराष्ट्र
- शहद उत्पादन और पैकेजिंग।
- Cropway और अन्य डिजिटल मार्केटप्लेस से सीधे उपभोक्ताओं को बिक्री।
- SHG के 10 सदस्यों को स्थायी आय।
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📌 सरकारी योजनाएँ महिला SHG के लिए
- महिला कोष योजना (Mahila Coir Yojana)
- कोयर और हस्तशिल्प उद्योग में लोन और सब्सिडी।
- DAY-NULM (National Urban Livelihood Mission)
- शहरी महिलाओं के लिए SHG लोन और प्रशिक्षण।
- Stand-Up India और PMMY
- महिला उद्यमियों के लिए स्टार्टअप लोन और ब्याज सब्सिडी।
✅ डिजिटल एम्पावरमेंट के लाभ
- स्व-निर्भरता: समूह के माध्यम से लोन और व्यवसाय शुरू करना।
- मार्केट एक्सेस: डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और ऑनलाइन बिक्री।
- तकनीकी ज्ञान: डिजिटल पेमेंट, इनवॉइसिंग और सोशल मीडिया मार्केटिंग।
- सामाजिक बदलाव: स्थानीय महिलाओं की स्थिति और सम्मान बढ़ना।
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