ज़ी5 पर रिलीज़ हुई “कालिधर लपाटा”, निर्देशक मधुमिता की हिंदी में अपनी तमिल फ़िल्म “के.डी.” की पुनरावृत्ति है। इस ब्लॉग में जानेंगे कि यह फिल्म किन पहलुओं में कारगर है और कहाँ थोड़ी खिंचाव महसूस होती है।
🎭 कहानी की रूपरेखा
- मुख्य कथानक: मध्य-आयु वर्ग के कालिधर (अभिषेक बच्चन) को मेमोरी लॉस होता है। परिवार उसे कुंभ मेले पर छोड़ आता है ताकि उसकी संपत्ति हड़प सके ।
- अनपेक्षित दोस्ती: कालिधर अपनी याददाश्त और इश्की स्मृतियों के बीच रास्ते चल पड़ता है, जहाँ उसे बच्चा बल्लू (दाइविक भागेला) मिलता है। दोनों जीवन-यात्रा की एक नई शुरुआत करते हैं ।
- पड़ताल शुरू होती है: मोहम्मद ज़ीशान आयूब का किरदार ‘सबोध’ अंत तक उन्हें ढूंढता रहता है ।
⭐ मुख्य खूबियाँ
- अभिषेक बच्चन का अभिनय
- उन्होंने छोटे लक्षणों के ज़रिए कालिधर की आंतरिक पीड़ा और साधारण मासूमियत को बखूबी चित्रित किया
- ट्विटर रिएक्शन्स में उनकी “fragility” और “unpretentious acting” को सराहा गया
- बच्चा अभिनेता दाइविक भागेला
- आपने शायद उस तरह के परिपक्व काम किए बच्चों को कभी नहीं देखा—स्वाभाविक, ऊर्जा से भरपूर, और सटीक
- इंडियन एक्सप्रेस की समीक्षा के अनुसार “…wide smile lighting up his face…Daivik Baghela is a natural”
- भावनात्मक गांभीर्य
- मूवी “clean family-viewing” फील देती है, और सरल पर मजबूत लव स्टोरी इसके बीच घूमती रहती है
- ज़िंदगी के छोटे-छोटे सुखों और सहानुभूति को गहराई से दिखाती है ।
- संगीत और छायांकन
- अमित त्रिवेदी का संगीत स्थिरता देता है, जिससे मूडी दशाएँ बिल्कुल मेल खाती हैं ।
- छायांकन ने मध्य प्रदेश की ग्रामीण पृष्ठभूमि को अच्छा उकेरा है ।
⚠️ फिल्म की कमियां
- पटकथा की गति और गहराई
- कभी-कभी कथानक धीमा पड़ जाता है, और भावनात्मक गहराई की कमी खलती है ।
- बालक पात्र का कुछ बुद्धिमत्ता ज़ोर-ज़बरदस्ती लगती है ।
- अभिषेक–दाइविक के बीच कैमिस्ट्री
- कुछ समीक्षकों के अनुसार, बच्चा अभिनेता उम्दा है, लेकिन अभिषेक उसमें मेल नहीं खा पाए ।
- Indian Express में लिखा गया– “Abhishek struggles to match up with child star”
- फील-गुड लेकिन परिपक्वता की कमी
- कुछ आलोचकों को कथा में “déjà vu” जैसा लग रहा है – यह फ़िल्म पुराने सुदृढ़ मूल्यों को फिर से कहना चाहती है, लेकिन ज़ोर से नहीं ।
🎬 अंतिम विचार
- रेटिंग
- समीक्षकों की तुलना में:
- हिंदुस्तान टाइम्स: ★★★ (Good)
- इंडिया टुडे: ★★★ (अच्छा)
- इंडियन एक्सप्रेस: ★★ (Mixed)
- फ़िल्मफ़ेयर/टाइम्स ऑफ़ इंडिया: ★★★½ (Positive)
- रेडिफ़: ★★★ (Family viewer)
- समीक्षकों की तुलना में:
- देखना चाहिए?
- अगर आपको सॉफ्ट-ड्रामा, सख्त टी-वी की जगह पर दिल को छू लेने वाली फिल्में पसंद हैं—तो हाँ, ज़रूर।
- पर अगर आप तेज-तर्रार या इमोशनल थ्रिलर के शौकीन हैं तो यह फिल्म धीमी और हल्की लग सकती है।
✅ कुल मिलाकर
“कालिधर लपाटा” एक सशक्त कोशिश है—जहाँ कहानी सरल है, अभिनय साफ़ है, पर पटकथा की गति और गहराई थोड़ी चोक जाती है। यह फिल्म आपके दिल को छू सकती है, लेकिन चौंकाने वाली नहीं लगती।
अगर आप ZEE5 पर आसानी से इतने बजट की साफ़ लगने वाली पारिवारिक पिक्चर देखना चाहते हैं, तो इसे एक बार जरूर देखें।
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