2025 में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व शनिवार, 16 अगस्त को मनाया जाएगा। मथुरा और वृंदावन, जहाँ भगवान श्री कृष्ण का जन्म और बचपन बीता, इस दिन विशेष रूप से सजते हैं और भक्तों से भर जाते हैं।
Contents
🕘 प्रमुख तिथियाँ और समय

- जन्माष्टमी तिथि: शनिवार, 16 अगस्त 2025
- निशिता पूजा (मध्यरात्रि पूजा): रात 12:00 बजे से 12:30 बजे तक
- बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती: सुबह 3:30 बजे, विशेष रूप से जन्माष्टमी के दिन होती है
🛕 मथुरा में प्रमुख आयोजन
- श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर: यह वह स्थान है जहाँ भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। जन्माष्टमी की रात यहाँ विशेष पूजा, अभिषेक और आरती का आयोजन होता है।
- विश्राम घाट: यमुनाजी के किनारे स्थित यह घाट भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। यहाँ रात को दीप जलाने की परंपरा है।
- कंस किला: कंस के किले में कृष्ण के जन्म की घटनाओं का चित्रण किया जाता है।
🌼 वृंदावन में प्रमुख आयोजन
- बांके बिहारी मंदिर: यहाँ मंगला आरती के साथ-साथ विशेष पूजा और भोग अर्पित किया जाता है।
- ISKCON वृंदावन: यहाँ कृष्ण लीला, कीर्तन और विशेष पूजा का आयोजन होता है
- रास लीला: वृंदावन की गलियों में रास लीला का आयोजन होता है, जिसमें कृष्ण और राधा की लीलाओं का मंचन किया जाता है।Navbharat Timesradhekrishn.com+1
🛕 यात्रा और दर्शन

- VIP दर्शन पैकेज: मथुरा और वृंदावन में विशेष दर्शन के लिए VIP पैकेज उपलब्ध हैं।
- यात्रा मार्ग: दिल्ली से मथुरा और वृंदावन की दूरी लगभग 180 किलोमीटर है, जो ट्रेन, बस या निजी वाहन से तय की जा सकती है।
🧭 यात्रा सुझाव
- पहुँचने का समय: जन्माष्टमी की रात के प्रमुख आयोजनों में सम्मिलित होने के लिए शाम तक पहुँचें।
- विशेष ध्यान: भीड़-भाड़ से बचने के लिए जल्दी पहुँचें और मंदिरों के नियमों का पालन करें।
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