2025 में भारत विश्व के प्रमुख उभरते आर्थिक और राजनीतिक महाशक्तियों में से एक के रूप में उभरा है। तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, तकनीकी उन्नति, और सामरिक महत्व के कारण भारत का वैश्विक परिदृश्य में प्रभाव बढ़ा है। हालांकि, इस विकास के साथ-साथ कई महत्वपूर्ण चुनौतियां भी भारत के सामने हैं, जिनका समाधान देश की सतत प्रगति के लिए आवश्यक है।
भारत की वैश्विक स्थिति – 2025 में
- आर्थिक महाशक्ति: भारत विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और ग्लोबल सप्लाई चेन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- तकनीकी और डिजिटल उन्नति: IT और डिजिटल सेवा क्षेत्र में भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत की है।
- वैश्विक कूटनीति: भारत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे G20, BRICS, और यूएन में सक्रिय भागीदारी बढ़ाई है।
- सैन्य और सामरिक प्रभाव: अपने सामरिक सुधारों और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के कारण भारत की सैन्य स्थिति मजबूत हुई है।
- जलवायु नेतृत्व: नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता के कारण भारत को वैश्विक पर्यावरणीय नेताओं में गिना जाता है।
भारत के सामने प्रमुख चुनौतियां
- आर्थिक असमानता: तेजी से विकास के बावजूद, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आर्थिक असमानता बनी हुई है।
- बुनियादी ढांचे का सुधार: सड़क, बिजली, जल आपूर्ति जैसे बुनियादी ढांचे में अभी भी सुधार की आवश्यकता है।
- शिक्षा और कौशल विकास: बढ़ती आबादी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।
- स्वास्थ्य सेवा: व्यापक और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं सभी तक पहुंचाना आवश्यक है, खासकर ग्रामीण इलाकों में।
- पर्यावरण संरक्षण: औद्योगिकीकरण और शहरीकरण के कारण प्रदूषण और संसाधनों की कमी एक गंभीर समस्या है।
- वैश्विक राजनीतिक दबाव: क्षेत्रीय विवादों, वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों और कूटनीतिक तनावों का सामना करना पड़ रहा है।
निष्कर्ष
2025 में भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत और प्रभावशाली है, लेकिन देश को इन चुनौतियों का सामना करते हुए सतत विकास और समावेशी प्रगति के लिए निरंतर प्रयास करना होगा। भारत का भविष्य इन चुनौतियों से निपटने की उसकी क्षमता पर निर्भर करेगा।
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