सरकार ने rare earth magnets उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ₹7,300 करोड़ की योजना स्वीकृत की है। जानिए कैसे भारत चीन पर निर्भरता कम करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
खबर का सार
भारत सरकार ने rare earth magnets और संबंधित उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ₹7,300 करोड़ का एक योजना प्रस्ताव स्वीकृत किया है।
इस योजना के तहत लोकल मैन्युफैक्चरिंग को पूंजीगत और परिचालन समर्थन दिया जाएगा, ताकि देश चीन पर निर्भरता कम कर सके।
यह प्रस्ताव मौजूदा अर्थव्यवस्था समिति (Expenditure Finance Committee, EFC) की मंज़ूरी प्राप्त कर चुका है और अब इसे कैबिनेट के समक्ष पेश किया जाएगा।
🔍 योजना की प्रमुख विशेषताएँ
- कुल ₹7,300 करोड़ का पैकेज: जिसमें ₹6,500 करोड़ पूंजीगत व्यय (capital expenditure) और ₹800 करोड़ परिचालन खर्च (operational support) शामिल हैं।
- लक्ष्य: भारत में rare earth magnet उत्पादन को 2030 तक 6,000 टन तक बढ़ाना, जिससे घरेलू मांग को पूरा किया जा सके।
- योजना चीन पर निर्भरता कम करने की दिशा में एक रणनीतिक कदम है, क्योंकि rare earth magnets कई आधुनिक उद्योगों जैसे EVs, renewable energy, उपयोगी उपकरणों, आदि में उपयोग होते हैं।
- इस पैकेज की मंज़ूरी जून महीने में हुई थी, और इसमें उपकरणों पर शुल्क में छूट और अतिरिक्त सहायता दी जाएगी।
- 2025 की मांग अनुमान है लगभग 4,010 मीट्रिक टन, जो 2030 तक बढ़कर 8,220 मीट्रिक टन तक हो सकती है।
- चीन ने हाल ही में सात rare earth elements और संबंधित magnets के लिए विशेष एक्सपोर्ट लाइसेंस अनिवार्य करना शुरू किया, जिससे भारत और अन्य देशों को प्रभावित किया गया।
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📈 इस कदम का महत्व और असर
- आर्थिक आत्मनिर्भरता (Self-Reliance)
भारत rare earth magnets के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक बड़ा कदम ले रहा है। - उद्योगों को फायदा
EVs, पवन ऊर्जा जनरेटर, consumer electronics जैसे उद्योगों को इनपुट सामग्री सस्ती और भरोसेमंद स्रोत से मिल सकेगी। - वैश्विक मूल्य श्रृंखला में हिस्सेदारी
यह कदम भारत को वैश्विक value chains में शामिल होने का अवसर देगा— जहां उच्च तकनीक उपकरण और घटक बनाए जाते हैं। - नीति और निवेश संकेत
सरकार का ये निवेश संकेत देता है कि भविष्य में high-tech और clean energy सेक्टरों को राज्य समर्थन मिलेगा।
⚠️ चुनौतियाँ और सुझाव
- क्रियान्वयन व्यवहार: योजना को सिर्फ स्वीकृति देना पर्याप्त नहीं — भूमि, लाइसेंस, तकनीकी विशेषज्ञता और लॉजिस्टिक्स को मजबूत करना होगा।
- खर्च और बजट प्रबंधन: ₹7,300 करोड़ का प्रबंधन करना आसान नहीं है, सुनिश्चित करें कि पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।
- तकनीकी क्षमता: rare earth magnet निर्माण में विशेषज्ञता और तकनीकी संसाधन अभी सीमित हैं — स्टार्टअप्स और अनुसंधान संस्थानों को प्रोत्साहित करना होगा।
- निर्यात नीति और व्यापार बाधाएँ: चीन की निर्यात नीतियों जैसे एक्सपोर्ट लाइसेंस की चुनौतियाँ भारत को प्रभावित कर सकती हैं — इनका सामना रणनीतिक व्यापार नीतियों से करना होगा।
- पर्यावरणीय दृष्टिकोण: rare earth mining और refining में पर्यावरणीय प्रभाव भी हैं — इसलिए sustainable practices और उदार नियम लागू होने चाहिए।
✅ निष्कर्ष
भारत की यह पहल सिर्फ एक आर्थिक योजना नहीं, बल्कि तंत्र परिवर्तन (systemic shift) है —
एक दिशा जो भारत को high-technology, clean energy और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूत बनाएगी।
अगर यह योजना सफल होती है, तो आने वाले वर्षों में भारत rare earth magnets के क्षेत्र में चीन की निर्भरता को चुनौती दे सकता है और अपनी टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री को नवीन ऊँचाइयाँ दे सकता है।
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