भारत सरकार ने 2025-26 के लिए Fiscal Deficit को GDP के 4.4% पर तय किया है। जानिए इसका असर बांड मार्केट, स्टॉक निवेश और ब्याज दरों पर।
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत सरकार ने राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) को GDP के 4.4% पर सीमित रखने का लक्ष्य तय किया है।
यह कदम भारत की वित्तीय अनुशासन नीति और आर्थिक स्थिरता की दिशा में एक अहम प्रयास माना जा रहा है। लेकिन सवाल यह है —
👉 इसका निवेशकों, बाजार और ब्याज दरों पर क्या असर पड़ेगा?
🔹 राजकोषीय घाटा क्या होता है?

राजकोषीय घाटा वह अंतर होता है जो सरकार के कुल खर्च और कुल आय (टैक्स + गैर-टैक्स) के बीच होता है।
जब सरकार की आय उसके खर्च को पूरा नहीं कर पाती, तो यह घाटा उधारी या बांड जारी कर पूरा किया जाता है।
समीकरण:
Fiscal Deficit = Total Expenditure – (Revenue Receipts + Non-debt Capital Receipts)
🔹 2025-26 के लिए सरकार का लक्ष्य:

- लक्ष्य: GDP का 4.4%
- पिछले वर्ष (2024-25): 5.1%
- दीर्घकालिक लक्ष्य: 2028 तक 4% से नीचे लाना
- सरकारी उधारी (Borrowing): ₹13.1 लाख करोड़
- फोकस सेक्टर: इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्रीन एनर्जी, मैन्युफैक्चरिंग और हेल्थ
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🔹 बाजार पर असर:

📈 1. बांड मार्केट (Bond Market):
सरकारी उधारी में गिरावट का मतलब है — बांड यील्ड्स स्थिर रहना।
यानी ब्याज दरें स्थिर रहने की संभावना बढ़ती है, जिससे निवेशक भावना सकारात्मक रहती है।
📊 2. स्टॉक मार्केट:
कम राजकोषीय घाटा = कम महंगाई दबाव (Inflation Pressure)।
इससे RBI को ब्याज दर घटाने का अवसर मिल सकता है, जो इक्विटी मार्केट के लिए पॉज़िटिव संकेत है।
🪙 3. रुपया और विदेशी निवेश (FII):
स्थिर वित्तीय घाटा विदेशी निवेशकों (FIIs) के लिए भरोसेमंद संकेत देता है।
इससे रुपया मज़बूत रहने और विदेशी पूंजी प्रवाह बढ़ने की संभावना रहती है।
🔹 निवेशकों के लिए रणनीति (Investment Strategy 2025-26):

- Long-Term Government Bonds – स्थिर यील्ड्स के कारण सुरक्षित निवेश विकल्प।
- Infrastructure & PSU Stocks – सरकारी खर्च बढ़ने से लाभ पाने वाले सेक्टर।
- Banking Sector Stocks – कम ब्याज दरों का सीधा फायदा।
- Gold & Fixed Income Funds – घाटा नियंत्रण के कारण inflation hedge के रूप में आकर्षक।
🔹 आर्थिक चुनौतियाँ:

- राजस्व संग्रह (Tax Collection) का लक्ष्य कठिन।
- राज्यों की उधारी और राजकोषीय जिम्मेदारी पर निगरानी जरूरी।
- वैश्विक तेल कीमतों और डॉलर दर में अस्थिरता से जोखिम बरकरार।
🔹 विश्लेषण:

सरकार का 4.4% का लक्ष्य वित्तीय अनुशासन और विकास दोनों के बीच संतुलन का प्रयास है।
यह भारत को रेटिंग एजेंसियों (Moody’s, S&P) की दृष्टि में अधिक विश्वसनीय बनाता है और
दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा देता है।
🔹 निष्कर्ष:

Fiscal Deficit 2025-26 निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है कि भारत अपनी वित्तीय नीतियों को स्थिर बना रहा है।
कम घाटा मतलब —
✅ कम मुद्रास्फीति,
✅ स्थिर ब्याज दरें,
✅ और निवेश के अधिक अवसर।
अगर सरकार इस लक्ष्य पर कायम रहती है, तो भारत का वित्तीय भविष्य और निवेश माहौल दोनों और मजबूत होंगे।
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