15 अगस्त 1947 भारत के इतिहास का वह अमर दिन है, जब देश ने ब्रिटिश शासन की 200 से अधिक वर्षों की गुलामी से मुक्ति पाई। यह दिन हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग, संघर्ष और बलिदान का परिणाम है। महात्मा गांधी के नेतृत्व में चले अहिंसक आंदोलन से लेकर भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे क्रांतिकारियों की शौर्यगाथा तक—हर प्रयास ने इस आज़ादी की नींव रखी।
आज़ादी की ओर बढ़ते कदम
- 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ पहली बड़ी क्रांति की नींव रखी।
- 1919 का जलियांवाला बाग हत्याकांड ने पूरे देश को एकजुट कर दिया।
- 1920-22 का असहयोग आंदोलन और 1930 का नमक सत्याग्रह ब्रिटिश शासन को हिला देने वाले आंदोलन थे।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिंद फौज और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन आज़ादी की अंतिम कड़ी साबित हुए।
15 अगस्त 1947 – आज़ादी की सुबह
आधी रात को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली के लाल किले से ‘Tryst with Destiny’ भाषण के साथ स्वतंत्र भारत का सपना साकार किया। देशभर में तिरंगा फहराया गया और एक नए युग की शुरुआत हुई।
आज के दौर में महत्व
15 अगस्त सिर्फ एक ऐतिहासिक दिन नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय उत्सव है। इस दिन देशभर में तिरंगा फहराया जाता है, सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जाता है। यह दिन हमें एकता, देशभक्ति और राष्ट्रनिर्माण की प्रेरणा देता है।
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