जानें भारत में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स के लिए 2025 में सरकारी प्रोत्साहन – 30% तक सब्सिडी, बजटरी सपोर्ट, ISTS चार्ज छूट और पूर्वोत्तर राज्यों में विशेष लाभ। निवेशकों और डेवलपर्स के लिए पूरी गाइड।
भारत सरकार ने हाइड्रो पावर सेक्टर में सुधार, निवेश और विस्तार को बढ़ावा देने के लिए 2025 में नई और संशोधित योजनाएं लागू की हैं। इन पहलुओं से प्रोजेक्ट्स की व्यवहार्यता बढ़ रही है और निवेशकों एवं राज्यों दोनों के लिए लाभ सुनिश्चित हो रहा है।
योजना और वित्तीय सहायता
1. बजटरी सपोर्ट स्कीम – एनेबलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर (HEPs & PSPs)
केंद्र सरकार ने 2024-25 से 2031-32 तक के लिए ₹12,461 करोड़ की योजना स्वीकृत की है, जिसका उद्देश्य हाइड्रो पावर परियोजनाओं में आवश्यक बुनियादी ढांचा (सड़क, पुल, ट्रांसमिशन लाइन, रोपवे, ट्रेनों की पटरी, संचार सुविधाएँ आदि) का निर्माण है। इस सुविधा से परियोजनाओं की गति, ग्रामीण पहुंच और निवेश आकर्षण दोनों बढ़ेंगे।
लागत सीमा:
- ₹1 करोड़/ MW (200 MW तक)
- ₹2 अरब + ₹7.5 लाख/MW (200 MW से ऊपर)
आवश्यक मामलों में ₹1.5 करोड़/MW तक सपोर्ट संभव है
2. पूर्वोत्तर राज्यों के लिए इक्विटी सहायता
दक्षिणोत्तर राज्यों में ग्रामीण अवसंरचना को बढ़ावा देने हेतु ₹4,136 करोड़ की राशि मंजूर की गई है। यह सहयोगी मॉडल के अंतर्गत राज्य और केंद्र शासित उद्यम (CPSUs) मिलकर 15,000 MW हाइड्रो क्षमता का विकास करेंगे
3. ISTS (Inter-State Transmission System) चार्ज में छूट
नए हाइड्रो प्रोजेक्ट्स और पम्प्ड स्टोरेज (PSPs) को अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन शुल्क में छूट मिली है, जिससे संचालक लागत में उल्लेखनीय कमी आई है
4. छोटे हाइड्रो (Small Hydro Projects) के लिए वित्तीय समर्थन
एक प्रस्तावित योजना के अंतर्गत छोटे हाइड्रो प्रोजेक्ट्स पर परियोजना लागत का 30% तक वित्तीय सहायता दी जा सकती है, जिससे इनका आर्थिक स्वरूप और भी आकर्षक हो जाता है
5. राज्य-स्तर पर विशेष नीतियाँ
- तामिलनाडु (Small Hydel Policy 2024): 100 kW–10 MW तक परियोजनाओं को 40 साल तक की नीति लाभ, बिजली शुल्क में छूट, और RPO में योगदान जैसी सुविधाएँ उपलब्ध हैं
- छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय आदि राज्यों में GST छूट, पंप स्टोरेज पॉलिसी, वित्तीय सहायता जैसी कई स्थानीय प्रोत्साहन योजनाएँ हैं
अन्य प्रमुख प्रोत्साहन उपाय
- Renewable Energy घोषित करना: बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत माना गया है, जिससे उन्हें RE सेक्टर के कर लाभ और फंडिंग मिल रही है
- PSPs पर विशेष लाभ: Free Power, water cess और स्थानीय विकास फंड जैसी बाधाओं से PSPs को छूट मिली है
- नवीन तकनीकी प्रोत्साहन: Surface Hydrokinetic Turbine जैसी तकनीकों को मान्यता मिली है, जिससे लागत कम होती है और इंस्टॉलेशन सरल बनता है
निष्कर्ष: निवेशकों, राज्यों और परियोजना विकास के लिए लाभ
इन सरकारी प्रोत्साहनों से:
- निवेशकों को परियोजना लागत, निर्माण समय और रखरखाव खर्च में कमी मिलती है।
- राज्य सरकारों को स्वच्छ ऊर्जा, ग्रामीण विकास और रोजगार सृजन के लक्ष्य में मदद मिलती है।
- परियोजनाओं की व्यवहार्यता और वित्तीय स्थिरता मजबूत होती है।
FAQ – सरकारी प्रोत्साहन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स 2025
Q1: भारत में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स को सरकार से कौन-कौन से प्रोत्साहन मिलते हैं?
A: सरकार बजटरी सपोर्ट, इक्विटी सहायता, ISTS चार्ज में छूट, और छोटे हाइड्रो प्रोजेक्ट्स पर 30% तक वित्तीय सहायता देती है।
Q2: छोटे हाइड्रो प्रोजेक्ट्स (Small Hydro) पर कितनी सब्सिडी मिल सकती है?
A: प्रस्तावित योजना के तहत परियोजना लागत का 30% तक समर्थन मिल सकता है।
Q3: पूर्वोत्तर राज्यों में कौन से विशेष प्रोत्साहन उपलब्ध हैं?
A: पूर्वोत्तर राज्यों में ₹4,136 करोड़ की इक्विटी सहायता और विशेष सहयोगी मॉडल से लगभग 15,000 MW क्षमता का विकास किया जा रहा है।
Q4: क्या हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को Renewable Energy का दर्जा मिला है?
A: हाँ, बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट्स को नवीकरणीय ऊर्जा घोषित किया गया है, जिससे उन्हें कर लाभ और फंडिंग आसान हो गई है।
Q5: निवेशकों को ISTS (Inter-State Transmission System) छूट से क्या लाभ होता है?
A: इससे परियोजना लागत घटती है और बिजली का बाजार अधिक प्रतिस्पर्धी बनता है।
Q6: राज्य सरकारें क्या अतिरिक्त सुविधाएँ देती हैं?
A: उदाहरण के तौर पर, तामिलनाडु की Small Hydel Policy 2024 में 40 साल तक नीति लाभ, शुल्क छूट और RPO योगदान जैसी सुविधाएँ दी जा रही हैं।
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