अर्थशास्त्री का कहना है कि भारत को अमेरिकी टैरिफ पर जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप की ‘हाउस ऑफ कार्ड्स’ नीति जल्द गिर सकती है। जानें पूरी खबर।
Contents
1. टैरिफ युद्ध अमेरिका की अपनी कमजोरी दिखाएगा
- जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अर्थशास्त्री Steve Hanke ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीति “अपने आप को नष्ट कर रही” है। उन्होंने इसे “पूरी तरह से ग़लत आर्थिक निर्णय” और “रेत पर खड़ा घर” बताया, जो लंबे समय तक टिक नहीं सकता।
2. भारत को इंतज़ार करने की सलाह
- प्रो. हैंके ने सुझाव दिया कि भारत को अस्थिर अमेरिका की आर्थिक व्यवहार पर “थोड़ा ठहरना” चाहिए क्योंकि उनका मानना है कि: “ट्रंप का यह घर ऑफ कार्ड्स अंततः ढह जाएगा।”
3. भारतीय नीति-निर्माताओं को क्या करना चाहिए
- उनकी राय में, प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री S. Jaishankar को अपनी रणनीति हाथों से न खोते हुए शांत और मजबूत रुख अपनाना चाहिए: “उनकी अपनी ताश के पत्तों को छुपाए रखना ही बेहतर होगा।”
4. टैरिफ का भारत पर प्रभाव
- हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ दर को 50% कर दिया है, जिससे Textiles, Gems & Jewellery, और Auto Components जैसे प्रमुख उद्योग प्रभावित हुए हैं; जबकि Pharma और Smartphones जैसे सेक्टर्स को राहत मिली है।
सारांश तालिका
पहलू | विवरण |
---|---|
विश्लेषक की सलाह | भारत को धैर्य के साथ रुख बनाए रखने की सलाह |
अमेरिकी नीति | टैरिफ युद्ध “दिल्ली में अपना घर खुद ही ढहा रहे हैं” |
प्रत्यक्ष प्रभाव | 50% टैरिफ से गुड्स एक्सपोर्ट पर दबाव |
भारत की रणनीति | मौन और रणनीतिक चुप्पी की सिफारिश |
निष्कर्ष
Prof. Steve Hanke का मानना है कि यह अमेरिकी नीति “शाट-लिवड” साबित होगी, और भारत को फिलहाल धैर्य दिखाते हुए टाइम का इंतज़ार करना चाहिए। इस रणनीति से प्रबल भारत को समय मिलेगा उचित कूटनीतिक पुनर्संतुलन और बाज़ार अनुकूलन के लिए।
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