AI और IoT आधारित Digital Carbon Tracking सिस्टम भारत में उद्योगों और शहरों के कार्बन उत्सर्जन की निगरानी कर रहा है। जानिए कैसे यह तकनीक Sustainable Development को बढ़ावा दे रही है।
जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन एक वैश्विक चुनौती बनता जा रहा है, भारत भी अब AI और IoT आधारित Carbon Tracking Systems अपनाने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है।
Digital Carbon Tracking का उद्देश्य है – उद्योगों, शहरों और व्यक्तिगत उपभोग के carbon footprint की रियल-टाइम निगरानी और कमी करना।
यह तकनीक सतत विकास (Sustainable Development) और Net Zero India 2070 लक्ष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।
💡 Digital Carbon Tracking क्या है?

Digital Carbon Tracking एक ऐसी तकनीक है जिसमें AI (Artificial Intelligence), IoT Sensors और Cloud Data Systems की मदद से
कार्बन उत्सर्जन (CO₂ Emission) को real-time में मापा, रिकॉर्ड और विश्लेषित किया जाता है।
यह सिस्टम:
- उद्योगों के उत्सर्जन की निगरानी करता है
- सप्लाई चेन के carbon data को जोड़ता है
- और policy makers को actionable insights प्रदान करता है
⚙️ कैसे काम करता है Carbon Tracking System?

- 🌡️ IoT Sensors – फैक्ट्रियों, वाहनों और उपकरणों में लगे सेंसर CO₂ और ऊर्जा उपयोग का डेटा भेजते हैं।
- 🧠 AI Analysis – यह डेटा AI मॉडल्स द्वारा विश्लेषित होता है ताकि सबसे ज्यादा उत्सर्जन वाले क्षेत्रों की पहचान हो सके।
- ☁️ Cloud Dashboard – सभी जानकारी एक centralized डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर real-time अपडेट होती है।
- 📉 Predictive Insights – भविष्य के emission patterns का अनुमान लगाकर mitigation steps सुझाए जाते हैं।
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🇮🇳 भारत में Digital Carbon Tracking का विस्तार

- 2025 में भारत सरकार ने National Carbon Data Network (NCDN) बनाने की घोषणा की है।
- Energy कंपनियाँ, Smart Cities और MSMEs अब AI-powered Carbon Monitoring tools का उपयोग शुरू कर रही हैं।
- IITs और Startups मिलकर “Green Tech Innovation Mission” के तहत indigenous solutions विकसित कर रहे हैं।
- आने वाले वर्षों में यह सिस्टम Mandatory Corporate Sustainability Reporting (BRSR) में एकीकृत किया जाएगा।
🌍 Global Trend और भारत की भूमिका

- यूरोप और जापान जैसे देशों में carbon tracking पहले से लागू है।
- भारत अब इसे स्थानीय उद्योगों और urban infrastructure में शामिल कर रहा है।
- Digital Carbon Ledger की मदद से हर कंपनी अपनी carbon credit accountability ट्रैक कर सकेगी।
- इससे भारत का Green Economy Transition और तेज़ होगा।
🌿 फायदे (Key Benefits)

- रियल-टाइम डेटा मॉनिटरिंग – उत्सर्जन की त्वरित पहचान और नियंत्रण।
- सटीक रिपोर्टिंग – कंपनियों के लिए बेहतर ESG (Environmental, Social, Governance) compliance।
- सस्टेनेबल डेवलपमेंट – संसाधनों के प्रभावी उपयोग से पर्यावरणीय प्रभाव में कमी।
- Green Innovation – AI और IoT आधारित नई टेक्नोलॉजी को बढ़ावा।
- Global Recognition – Net Zero लक्ष्यों की दिशा में भारत की प्रगति का प्रमाण।
🔮 निष्कर्ष (Conclusion)

Digital Carbon Tracking सिर्फ पर्यावरणीय मॉनिटरिंग नहीं, बल्कि स्मार्ट और सस्टेनेबल इंडिया की दिशा में उठाया गया तकनीकी कदम है।
AI और IoT के साथ यह सिस्टम उद्योगों को न केवल जिम्मेदार बनाएगा, बल्कि हरित विकास (Green Growth) की नई राह भी खोलेगा।
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