रणबीर कपूर के समर्थन में बोलीं चिन्मयी: रणबीर कपूर की ‘रामायण’ में भूमिका पर उठे विवाद के बीच सिंगर चिन्मयी श्रीपाड़ा ने उनका समर्थन करते हुए सवाल उठाया – “क्या खाने से किसी किरदार की योग्यता तय होती है?” पढ़ें इस मुद्दे पर उनका तीखा और बेबाक जवाब।
🎬 विवाद की शुरुआत: रणबीर कपूर की ‘Ramayana’ में भूमिका पर सवाल
बॉलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर इन दिनों नितेश तिवारी की अपकमिंग फिल्म ‘रामायण’ में भगवान राम की भूमिका निभाने को लेकर चर्चा में हैं। मगर सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स ने उनके पुराने बयान – जिसमें उन्होंने बीफ खाने की बात कही थी – को उठाकर विवाद खड़ा कर दिया।
लोगों ने सवाल उठाया कि “बीफ खाने वाला व्यक्ति भगवान राम का किरदार कैसे निभा सकता है?” यह मुद्दा इतना गर्माया कि ट्विटर (अब X) पर हैशटैग ट्रेंड होने लगे।
🎙️ चिन्मयी का तीखा जवाब: ‘क्या खाने से तय होता है कि कौन अच्छा है?’

प्रसिद्ध सिंगर, ऐक्टिविस्ट और वॉइस ओवर आर्टिस्ट चिन्मयी श्रीपाड़ा ने इस मामले पर सोशल मीडिया पर साफ और कड़ा स्टैंड लिया। उन्होंने लिखा:
“A babaji who uses the name of God can be a rapist and he can keep getting parole to get votes in bhakt India — however what someone eats is a big problem.”
चिन्मयी ने इस बयान से समाज में व्याप्त दोहरी मानसिकता और पाखंड पर सीधा हमला किया। उनका कहना था कि यदि किसी अभिनेता का भोजन उसकी नैतिकता तय कर सकता है, तो फिर असली अपराधियों को कैसे समाज में जगह दी जा रही है?
📲 सोशल मीडिया पर मचा बवाल – समर्थन और विरोध दोनों मिले
A babaji who uses the name of God can be a rapist and he can keep getting parole to get votes in bhakt India – however what someone eats is a big problem. https://t.co/w7FYienmke
— Chinmayi Sripaada (@Chinmayi) July 4, 2025
चिन्मयी के ट्वीट पर सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।
- कई लोगों ने उनके साहसी स्टैंड की सराहना की और कहा कि “कोई भी कलाकार अपने अभिनय से भूमिका निभाता है, न कि खाने की आदतों से।”
- वहीं कुछ लोगों ने उनके बयान को धार्मिक भावनाओं के खिलाफ बताया और उनका विरोध किया।
🔍 यह सिर्फ रणबीर का मुद्दा नहीं, ये इंडस्ट्री का भी आईना है
चिन्मयी के बयान ने इस बात को रेखांकित किया कि कैसे कलाकारों की निजी जिंदगी को उनके करियर से जोड़ कर अनुचित नैतिक जाँच की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि
“Art and activism should go hand in hand.”
यह पहली बार नहीं है जब चिन्मयी ने खुलकर सामाजिक विषयों पर राय दी हो। #MeToo मूवमेंट के समय भी उन्होंने तमिल सिनेमा में कई मुद्दों को उजागर किया था।
🗣️ क्या कहता है कानून और समाज?
किसी का खाना‑पीना, जाति, धर्म या निजी जीवन, एक अभिनेता की भूमिका के चयन का आधार नहीं हो सकता।
भारत जैसे धार्मिक और विविधता भरे समाज में, यह चर्चा और भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि हम किसी कलाकार को उसके काम से आंकें, न कि उसकी प्लेट से।
🧾 निष्कर्ष:
चिन्मयी श्रीपाड़ा का रणबीर कपूर के समर्थन में उठाया गया सवाल — “क्या खाने से तय होता है किरदार?” — सिर्फ एक ट्वीट नहीं, बल्कि हमारे समाज की सोच को आईना दिखाने वाली आवाज़ है।
अगर एक अभिनेता अपनी कला से भगवान राम जैसी पवित्र भूमिका निभा सकता है, तो हमें उसकी कला का सम्मान करना चाहिए, न कि उसकी निजी आदतों की न्यायिक समीक्षा करनी चाहिए।
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