ग्लोबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज को लेकर दुनिया भर में सख्त नियम और पॉलिसी बन रही हैं।
2026 तक Carbon Credits Trading न सिर्फ पर्यावरण बचाने का साधन होगा बल्कि एक नया इन्वेस्टमेंट एसेट क्लास भी बन सकता है।
Contents
1. Carbon Credit क्या होता है?

- जब कोई कंपनी प्रदूषण घटाने या ग्रीन प्रोजेक्ट्स (जैसे सोलर, विंड, ट्री प्लांटेशन) में निवेश करती है, तो उसे Carbon Credits मिलते हैं।
- ये Credits कंपनियों के लिए “Pollution Permit” की तरह काम करते हैं।
- एक Carbon Credit = 1 टन कार्बन डाइऑक्साइड कम करने के बराबर।
2. Carbon Credits Trading 2026 तक क्यों महत्वपूर्ण होगा?

- भारत 2070 तक Net Zero Carbon Target की दिशा में काम कर रहा है।
- कंपनियों को अपने कार्बन फुटप्रिंट को बैलेंस करने के लिए Carbon Credits खरीदने होंगे।
- 2026 तक यह मार्केट स्टॉक मार्केट की तरह ट्रेडेबल बन सकता है।
3. निवेशकों के लिए नया एसेट क्लास

- ESG Investing (Environment, Social, Governance) के बढ़ते ट्रेंड से डिमांड बढ़ेगी।
- Carbon Credits की कीमत अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बढ़ सकती है।
- स्टार्टअप्स और प्रोजेक्ट्स में निवेश से निवेशकों को Carbon Tokens या Certificates मिलेंगे।
- भविष्य में यह Crypto Tokens की तरह डिजिटल रूप में भी आ सकता है।
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4. भारत में क्या बदलाव होंगे?

- SEBI और RBI 2026 तक Carbon Trading के लिए नए गाइडलाइंस ला सकते हैं।
- सरकार Indian Carbon Market (ICM) को ग्लोबल स्टैंडर्ड पर ले जाएगी।
- किसानों और MSMEs को ग्रीन प्रोजेक्ट्स से Carbon Credits कमाने का मौका मिलेगा।
5. निवेशकों के लिए फायदे और रिस्क

✅ फायदे:
- ग्रीन एनर्जी और सस्टेनेबल प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट।
- Long-term wealth creation का मौका।
- पोर्टफोलियो में Diversification।
⚠️ रिस्क:
- प्राइस वोलैटिलिटी (कीमत तेजी से ऊपर-नीचे होना)।
- रेग्युलेशन और गवर्नमेंट पॉलिसी पर निर्भरता।
- Fraudulent Carbon Credits की संभावना।
निष्कर्ष
2026 तक Carbon Credits Trading एक बड़ा इन्वेस्टमेंट ट्रेंड बनने जा रहा है।
जहां बड़े कॉर्पोरेट्स इसे कम्प्लायंस और CSR टूल की तरह इस्तेमाल करेंगे, वहीं आम निवेशक भी इसमें नया Wealth Asset देख पाएंगे।
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