Carbon Capture & Carbon Credit Projects 2025 – जानें कैसे भारत और दुनिया में CCS टेक्नोलॉजी और कार्बन क्रेडिट मार्केट नेट-जीरो लक्ष्य और नए निवेश अवसरों को बढ़ावा दे रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने के लिए दुनिया अब सिर्फ Renewable Energy पर ही नहीं बल्कि Carbon Capture Technologies और Carbon Credit Projects पर भी तेजी से काम कर रही है। भारत और वैश्विक स्तर पर कई कंपनियाँ और सरकारें अब नेट-जीरो लक्ष्य पाने के लिए इन समाधानों पर निवेश कर रही हैं।
🏭 Carbon Capture क्या है?
Carbon Capture & Storage (CCS) एक तकनीक है जिसमें उद्योगों और बिजली संयंत्रों से निकलने वाले CO₂ को पकड़कर:
- भूमिगत स्टोरेज (Geological Storage)
- या फिर Carbon Utilization Projects (जैसे Synthetic Fuels, Chemicals, Cement Production) में उपयोग किया जाता है।
💰 Carbon Credits क्या हैं?
- Carbon Credit = 1 टन CO₂ उत्सर्जन में कमी।
- कंपनियाँ अगर CO₂ कम करती हैं या ग्रीन प्रोजेक्ट्स में निवेश करती हैं तो उन्हें Carbon Credits मिलते हैं।
- इन क्रेडिट्स को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचा भी जा सकता है।
🚀 भारत में Carbon Capture & Credit प्रोजेक्ट्स
- Indian Oil Corporation (IOCL) – CCS पायलट प्रोजेक्ट्स।
- NTPC – Thermal Power Plants में Carbon Capture तकनीक।
- Tata Steel – Carbon Utilization in Industrial Processes।
- Clean Development Mechanism (CDM) Projects – Carbon Credits से राजस्व।
- स्टार्टअप्स – Climeworks India और Carbon Masters।
🌍 वैश्विक पहल
- Climeworks (Switzerland) – Direct Air Capture Plants।
- ExxonMobil, Shell, Chevron – CCS में अरबों डॉलर का निवेश।
- Microsoft, Google – Net-Zero Initiatives और Carbon Credit खरीद।
- Saudi Arabia NEOM Project – CCS और Hydrogen Integration।
🔑 Carbon Credit Market 2025
- Global Carbon Credit Market 2025 तक $100 Billion+ का हो सकता है।
- भारत भी Voluntary Carbon Credit Market में तेजी से उभर रहा है।
- Agriculture, Forestry और Renewable Projects से Carbon Credits अर्जित किए जा रहे हैं।
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🔮 भविष्य की संभावनाएँ
- Direct Air Capture (DAC) टेक्नोलॉजी का विस्तार।
- Blockchain आधारित Carbon Credit Trading।
- Green Hydrogen + CCS Integration।
- India में Carbon Credit Exchange Platforms का विकास।
📌 निष्कर्ष
Carbon Capture & Carbon Credit Projects नेट-जीरो मिशन को हासिल करने का अहम हिस्सा हैं। भारत और दुनिया दोनों में ये टेक्नोलॉजी ऊर्जा और इंडस्ट्री सेक्टर को ग्रीन बनाने के साथ नए बिज़नेस और निवेश अवसर भी पैदा कर रही हैं।
❓ FAQ (Frequently Asked Questions)
Q1. Carbon Capture (CCS) क्या है?
👉 यह तकनीक उद्योगों और बिजली संयंत्रों से निकलने वाले CO₂ को पकड़कर उसे भूमिगत स्टोर करने या उपयोगी उत्पादों में बदलने का तरीका है।
Q2. Carbon Credit कैसे काम करता है?
👉 1 टन CO₂ उत्सर्जन में कमी = 1 Carbon Credit। कंपनियाँ ग्रीन प्रोजेक्ट्स के जरिए क्रेडिट अर्जित कर सकती हैं और इन्हें मार्केट में बेच सकती हैं।
Q3. भारत में कौन-से Carbon Capture प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं?
👉 NTPC, Indian Oil, Tata Steel और कई स्टार्टअप्स जैसे Carbon Masters और Climeworks India।
Q4. Carbon Credit Market का भविष्य क्या है?
👉 2025 तक यह मार्केट $100 Billion+ तक पहुँच सकता है और भारत भी इसमें बड़ा प्लेयर बन सकता है।
Q5. Carbon Credits से भारत को क्या फायदा है?
👉 ग्रीन प्रोजेक्ट्स को निवेश मिलेगा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में राजस्व बढ़ेगा और नेट-जीरो लक्ष्य तक पहुँचने में मदद मिलेगी।
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