संभल जिला के चर्चित पुलिस अधिकारी अनुज चौधरी, जिन्हें हाल ही में DSP से ASP पद पर पदोन्नति मिली, उन्होंने अपनी नई ज़िम्मेदारी की शुरुआत एक खास मुलाकात से की—वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराज का आशीर्वाद लेने के बाद उन्होंने उनसे एक जटिल न्याय-संबंधी सवाल पूछा।
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मुख्य बातचीत का सार
- प्रश्न: अनुज चौधरी ने संत से पूछा कि जब किसी केस में वादी पक्ष आरोप लगाए—जैसे कि “मेरे बेटे की हत्या हुई”—लेकिन स्पष्ट साक्ष्य मौजूद न हों, और आरोपी घटना स्थल पर न होने का दावा करे, तो पुलिस की क्या नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी होनी चाहिए?
- संत का उत्तर: प्रेमानंद महाराज ने समझाया कि यदि FIR दर्ज है तो उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि अंतर्यामी नहीं समझा जा सकता—न्यायिक कार्रवाई हमेशा उपलब्ध साक्ष्यों और विवेचना के आधार पर होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति निर्दोष है फिर भी सजा भोग रहा है, वह उसके पिछले कर्मों का प्रभाव हो सकता है। वहीं यदि अपराधी बच जाए, तो उसका अपराध कहीं न कहीं सामने आएगा—लेकिन पुलिस को हमेशा दायित्वनिष्ठ रवैया अपनाना चाहिए।
सारांश

- हमेशा न्याय प्रक्रिया का पालन करें: ASP अपनी जिम्मेदारी पूरी सच्चाई और विवेचना के आधार पर निभाना चाहता है।
- मुलाकात का उद्देश्य: पदोन्नति के बाद एक आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्राप्त करना और नैतिक प्रतिबद्धता की पुष्टि करना।
- संत का सन्देश: इंसान तर्कसंगत कार्रवाई करे, भावनात्मक निर्णयों से बचकर न्याय व्यवस्था में विश्वास बनाए रखे।
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