2026 में De-Dollarization ट्रेंड तेजी पकड़ रहा है। जानिए कैसे देश डॉलर पर निर्भरता घटा रहे हैं और क्या डिजिटल युआन या ब्रिक्स करेंसी नई Global Reserve Currency बन सकती है।
Introduction
पिछले कुछ वर्षों से दुनिया भर में De-Dollarization की चर्चा तेज़ हो गई है — यानी वैश्विक अर्थव्यवस्था का अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता से बाहर निकलना।
2026 में यह ट्रेंड और मजबूत होता दिख रहा है, जब कई देश नए ट्रेड सिस्टम, डिजिटल करेंसीज़ और वैकल्पिक रिज़र्व मॉडल्स अपना रहे हैं।
क्या यह संकेत है कि दुनिया एक नई Global Reserve Currency की ओर बढ़ रही है? आइए जानते हैं।
1. De-Dollarization क्यों शुरू हुआ?

- रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका की प्रतिबंध नीति और डॉलर की मौद्रिक प्रभुता ने कई देशों को नए विकल्प सोचने पर मजबूर किया।
- कई उभरती अर्थव्यवस्थाएँ अब अपने द्विपक्षीय व्यापार में डॉलर की जगह स्थानीय करेंसी का इस्तेमाल कर रही हैं।
- 2026 में BRICS Alliance के तहत “Shared Digital Currency” मॉडल पर गंभीर चर्चा चल रही है।
2. ब्रिक्स करेंसी – नया रिज़र्व सिस्टम?

- BRICS (Brazil, Russia, India, China, South Africa) ने 2026 के लिए एक common settlement currency का ड्राफ्ट तैयार किया है।
- यह करेंसी Digital Gold Reserve या Blockchain-backed token के रूप में काम करेगी।
- इसका उद्देश्य है –
- डॉलर पर निर्भरता कम करना,
- व्यापार में transaction cost घटाना,
- और geopolitical balance बनाए रखना।
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3. डिजिटल युआन और CBDC का उभार

- China का Digital Yuan (e-CNY) पहले ही कई एशियाई देशों में cross-border payment के लिए इस्तेमाल हो रहा है।
- India, UAE और Singapore ने भी 2026 में CBDC (Central Bank Digital Currency) के ज़रिए trade settlement शुरू किया है।
- यह दिखाता है कि भविष्य की करेंसी सिर्फ कागज़ नहीं, बल्कि कोड और ब्लॉकचेन में होगी।
4. अमेरिकी डॉलर की स्थिति – अभी भी मजबूत, लेकिन चुनौतीपूर्ण

- 2026 तक डॉलर अभी भी दुनिया के 60% विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल है।
- लेकिन यूरोप, एशिया और अफ्रीका में multi-currency trade agreements इस dominance को धीरे-धीरे चुनौती दे रहे हैं।
- अमेरिकी फेड की नीति अब Crypto और CBDC regulation की दिशा में बदल रही है ताकि डॉलर की digital relevance बनी रहे।
5. भारत की भूमिका – Strategic Balancer

- भारत ने 2026 में Rupee Trade Mechanism के तहत कई देशों के साथ INR-based settlements शुरू किए हैं।
- साथ ही भारत BRICS Digital Currency Initiative में एक neutral but influential player बना हुआ है।
- यह भारत को geo-financial diplomacy में एक नया नेतृत्व देता है।
Conclusion

De-Dollarization 2026 सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि वैश्विक सत्ता संतुलन का संकेत है।
डॉलर की ताकत घट रही है, लेकिन उसकी जगह कौन लेगा — यह अभी तय नहीं।
चाहे वह Digital Yuan हो, BRICS Token या Multi-Currency Basket, आने वाला समय निश्चित रूप से “One Dollar World” से “Many Currency World” की ओर बढ़ेगा।
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