जानें EV बैटरी रीसाइक्लिंग और सस्टेनेबिलिटी के ताज़ा रुझान। लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग, भारत में कंपनियाँ (Attero, Lohum), सेकंड-लाइफ बैटरी उपयोग और 2025 के निवेश अवसर।
जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) की मांग बढ़ रही है, वैसे-वैसे EV बैटरी रीसाइक्लिंग और सस्टेनेबिलिटी की ज़रूरत भी बढ़ती जा रही है। EV की बैटरियाँ (मुख्यतः लिथियम-आयन) सीमित संसाधनों से बनती हैं, और इनके इस्तेमाल के बाद उचित रीसाइक्लिंग व पुनः उपयोग करना पर्यावरण और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
🚗 EV बैटरी रीसाइक्लिंग क्यों ज़रूरी है?

- लिथियम, कोबाल्ट और निकेल जैसे क्रिटिकल मटेरियल की रिकवरी
- ई-वेस्ट और पर्यावरण प्रदूषण कम करना
- बैटरी प्रोडक्शन की लागत घटाना
- EV सप्लाई चेन को सस्टेनेबल बनाना
♻️ बैटरी रीसाइक्लिंग की प्रमुख तकनीकें
- Mechanical Recycling → बैटरी पैक को मैन्युअल और मैकेनिकल प्रोसेस से अलग करना।
- Pyrometallurgical Process → हाई-टेम्प प्रोसेस से मेटल्स की रिकवरी।
- Hydrometallurgical Process → केमिकल्स द्वारा मेटल एक्सट्रैक्शन (ज्यादा इको-फ्रेंडली)।
- Direct Recycling → एक्टिव मटेरियल्स को पुनः बैटरी में इस्तेमाल करना।
🌍 ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी ट्रेंड्स 2025
- यूरोप: बैटरी पासपोर्ट और Extended Producer Responsibility (EPR) नियम।
- अमेरिका: Recycling Companies जैसे Redwood Materials और Li-Cycle का विस्तार।
- चीन: EV OEMs के लिए अनिवार्य बैटरी रिकवरी टारगेट।
- जापान/कोरिया: सेकंड-लाइफ बैटरी स्टोरेज प्रोजेक्ट्स।
🇮🇳 भारत में EV बैटरी रीसाइक्लिंग
- नियम: बैटरी वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स (2022) के तहत EPR लागू।
- स्टार्टअप्स और कंपनियाँ: Attero Recycling, Lohum, Tata Chemicals जैसी कंपनियाँ EV बैटरी रीसाइक्लिंग में सक्रिय।
- सरकारी फोकस: सर्कुलर इकॉनमी और बैटरी वैल्यू चेन में निवेश को प्रोत्साहन।
- सेकंड लाइफ यूज़: इस्तेमाल की गई बैटरियों को सोलर/ग्रिड स्टोरेज में पुनः उपयोग।
🚀 EV बैटरी सस्टेनेबिलिटी का भविष्य

- सेकंड-लाइफ स्टोरेज → ऊर्जा स्टोरेज के लिए पुराने EV बैटरी पैक का उपयोग।
- क्लोज्ड-लूप सिस्टम → माइनिंग से लेकर बैटरी डिस्पोजल तक पूरी वैल्यू चेन को सस्टेनेबल बनाना।
- निवेश अवसर → बैटरी रीसाइक्लिंग स्टार्टअप्स, बैटरी पासपोर्ट टेक और ESG-फोकस्ड फंडिंग।
📌 निष्कर्ष
EV बैटरी रीसाइक्लिंग सिर्फ एक तकनीकी समाधान नहीं है, बल्कि सस्टेनेबल मोबिलिटी और ग्रीन एनर्जी ट्रांजिशन का अहम हिस्सा है। 2025 तक, बैटरी रीसाइक्लिंग और सर्कुलर इकॉनमी में निवेश EV इंडस्ट्री के लिए गेम-चेंजर साबित होगा।
❓ FAQs
Q1. EV बैटरी रीसाइक्लिंग क्यों ज़रूरी है?
👉 EV बैटरियों में लिथियम, निकेल, कोबाल्ट जैसे कीमती मटेरियल होते हैं। रीसाइक्लिंग से इनका पुनः उपयोग संभव होता है और प्रदूषण भी कम होता है।
Q2. EV बैटरियों के लिए कौन-कौन सी रीसाइक्लिंग तकनीकें उपलब्ध हैं?
👉 मैकेनिकल, Pyrometallurgical, Hydrometallurgical और Direct Recycling प्रमुख तकनीकें हैं।
Q3. भारत में EV बैटरी रीसाइक्लिंग कंपनियाँ कौन सी हैं?
👉 Attero Recycling, Lohum, Tata Chemicals इस क्षेत्र में प्रमुख खिलाड़ी हैं।
Q4. सेकंड-लाइफ बैटरी का उपयोग कहाँ होता है?
👉 सोलर एनर्जी स्टोरेज, ग्रिड बैकअप और ग्रामीण विद्युतीकरण प्रोजेक्ट्स में सेकंड-लाइफ बैटरियों का उपयोग होता है।
Q5. 2025 तक EV बैटरी रीसाइक्लिंग का भविष्य क्या है?
👉 क्लोज्ड-लूप सिस्टम, सेकंड-लाइफ एनर्जी स्टोरेज और सस्टेनेबल सप्लाई चेन EV इंडस्ट्री का भविष्य तय करेंगे।
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