फैशन और लाइफस्टाइल की दुनिया में 2025 में एक नया ट्रेंड तेजी से उभर रहा है – स्लो फ्रेगरेंस (Slow Fragrance)। जिस तरह कपड़ों में फास्ट-फैशन की जगह अब सस्टेनेबल फैशन लोकप्रिय हो रहा है, वैसे ही परफ्यूम इंडस्ट्री में अब धीमी और गुणवत्ता-प्रधान इत्र की मांग बढ़ रही है।
स्लो फ्रेगरेंस क्या है?
- स्लो फ्रेगरेंस का मतलब है लंबे समय तक टिकने वाली, प्राकृतिक और गुणवत्ता-आधारित खुशबू।
- इसमें सस्टेनेबल इनग्रेडिएंट्स का उपयोग किया जाता है, जैसे पौधों, फूलों और हर्बल ऑयल्स से बनी खुशबुएँ।
- ये परफ्यूम कमर्शियल मास प्रोडक्शन से अलग होते हैं और व्यक्तिगत अनुभव को प्राथमिकता देते हैं।
2025 में स्लो फ्रेगरेंस ट्रेंड क्यों लोकप्रिय हो रहा है?

- सस्टेनेबिलिटी की ओर रुझान
- पर्यावरण को ध्यान में रखकर, इको-फ्रेंडली पैकेजिंग और नैचुरल इनग्रेडिएंट्स का उपयोग।
- गुणवत्ता बनाम मात्रा
- ग्राहक अब लंबे समय तक टिकने वाली और एक्सक्लूसिव फ्रेगरेंस को प्राथमिकता दे रहे हैं।
- पर्सनलाइजेशन
- कई ब्रांड अब कस्टमाइज्ड फ्रेगरेंस बना रहे हैं जो यूज़र की पर्सनैलिटी और पसंद के अनुसार हों।
- वेलनेस और माइंडफुलनेस से जुड़ाव
- स्लो फ्रेगरेंस केवल खुशबू ही नहीं, बल्कि मानसिक शांति और मूड बैलेंस के लिए भी जानी जाती है।
2025 के टॉप स्लो फ्रेगरेंस ट्रेंड्स
- नैचुरल और ऑर्गेनिक परफ्यूम्स
- लो-वेस्ट और रिफिल योग्य बोतलें
- कस्टमाइज्ड परफ्यूम सर्विस
- मेडिटेशन और अरोमा थेरेपी में उपयोग
भारत में स्लो फ्रेगरेंस का भविष्य
भारत जैसे देश में जहाँ अत्तर और प्राकृतिक इत्र का इतिहास हजारों साल पुराना है, स्लो फ्रेगरेंस का ट्रेंड और भी मजबूत हो सकता है। छोटे और स्थानीय परफ्यूम ब्रांड्स अब ग्लोबल मार्केट में पहचान बना रहे हैं।
✅ निष्कर्ष

2025 में स्लो फ्रेगरेंस सिर्फ एक परफ्यूम ट्रेंड नहीं बल्कि सस्टेनेबल लाइफस्टाइल का हिस्सा बन चुका है। यह उन लोगों के लिए है जो भीड़ से अलग होकर गुणवत्ता, स्थिरता और व्यक्तिगत अनुभव को प्राथमिकता देना चाहते हैं।
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