भारत सरकार का स्मार्ट सिटी मिशन (Smart Cities Mission) 2015 में शुरू हुआ था, जिसका उद्देश्य 100 शहरों को स्मार्ट, टिकाऊ और नागरिक केंद्रित बनाना था। इस मिशन के तहत अब तक 8,067 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 7,555 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिससे ₹1.51 लाख करोड़ का निवेश हुआ है ।
✅ पूरी तरह सफल शहर
मार्च 2025 तक, केवल 18 शहरों ने अपनी सभी स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को पूरा किया है। इनमें शामिल हैं:
- आगरा, वाराणसी, मदुरै, कोयंबटूर, उदयपुर, पुणे, सूरत, वडोदरा
इन शहरों में स्मार्ट ट्रांसपोर्ट, जल आपूर्ति, कचरा प्रबंधन, स्मार्ट स्ट्रीट लाइटिंग, और नागरिक सेवाओं में डिजिटलीकरण जैसी पहलें लागू की गई हैं।
⚠️ धीमी प्रगति वाले शहर
वहीं, कुछ शहरों में परियोजनाओं की प्रगति धीमी रही है। उदाहरण के लिए:
- वारंगल और करीमनगर (तेलंगाना): इन दोनों शहरों ने केंद्रीय फंडिंग के बावजूद केवल 66% और 75% परियोजनाओं को पूरा किया है। मुख्य कारणों में कानूनी अड़चनें, प्रशासनिक अस्थिरता, और भूमि अधिग्रहण में समस्याएं शामिल हैं ।
🌿 पर्यावरणीय पहल और स्थिरता
आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम को ‘मिशन लाइफ’ के तहत एक स्थायी स्मार्ट शहर के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां प्लास्टिक पुनः उपयोग, बायो-CNG परियोजना, और कचरा प्रबंधन जैसी पहलें लागू की जा रही हैं ।
🌐 अंतरराष्ट्रीय पहचान
लखनऊ को ‘ASEAN Governors & Mayors Forum’ में ‘Knowledge City’ के रूप में आमंत्रित किया गया है। यह सम्मान शहर की स्वच्छता, हरित विकास, और नागरिक सहभागिता के कारण मिला है ।
📊 निष्कर्ष

स्मार्ट सिटी मिशन ने कई शहरों में बुनियादी ढांचे और सेवाओं में सुधार किया है, लेकिन सभी शहरों में समान प्रगति नहीं हुई है। कुछ शहरों में प्रशासनिक चुनौतियां और संसाधनों की कमी के कारण परियोजनाओं की गति धीमी रही है। हालांकि, कुछ शहरों ने पर्यावरणीय पहल और नागरिक सहभागिता के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय पहचान प्राप्त की है।
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