दही-हांडी महोत्सव, जो श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है, महाराष्ट्र के सबसे लोकप्रिय और रोमांचक त्योहारों में से एक है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, विशेषकर माखन चुराने और मटकी फोड़ने की परंपरा को जीवंत करता है।
दही-हांडी का धार्मिक महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान कृष्ण बचपन में अपने दोस्तों के साथ ऊंचाई पर टंगी मटकियों से माखन और दही चुराते थे। इसी प्रसंग को याद करते हुए दही-हांडी महोत्सव मनाया जाता है, जिसमें गोविंदा टीमें मानव पिरामिड बनाकर ऊंची मटकी तक पहुंचने और उसे फोड़ने का प्रयास करती हैं।
मुंबई और महाराष्ट्र में दही-हांडी की खासियत
महाराष्ट्र, खासकर मुंबई, ठाणे, पुणे और नासिक में दही-हांडी एक बड़े सामाजिक आयोजन में बदल चुका है। यहां हजारों दर्शक, गोविंदा पथक और आयोजक मिलकर इसे भव्य बनाते हैं।
- स्थान – मुंबई के गिरगांव, दादर, ठाणे का गोकुलनगर, और पुणे का मंडई क्षेत्र
- उत्साह – बॉलीवुड सितारों और नेताओं की मौजूदगी
- सुरक्षा – हेलमेट, नी-पैड और सेफ्टी बेल्ट का इस्तेमाल अनिवार्य
दही-हांडी 2025 की खास तैयारियां
- इस बार कई आयोजनों में 45 से 50 फीट ऊंचाई पर मटकियां लगाई जाएंगी।
- करोड़ों रुपये के इनाम और स्पॉन्सरशिप की घोषणा।
- लाइव म्यूजिक, डांस और कल्चरल शो का आयोजन।
- स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर की गोविंदा टीमों की भागीदारी।
सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू
दही-हांडी केवल एक खेल नहीं बल्कि आपसी सहयोग, एकता और साहस का प्रतीक है। इसमें हर उम्र और वर्ग के लोग शामिल होते हैं, जिससे समाज में भाईचारे और टीमवर्क की भावना मजबूत होती है।
निष्कर्ष

दही-हांडी महोत्सव 2025 मुंबई और महाराष्ट्र के लोगों के लिए परंपरा, उत्साह और रोमांच का अद्भुत संगम होगा। इस अवसर पर पूरा राज्य भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की याद में झूम उठेगा।
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