श्लोका अंबानी ने हाल ही में अपने पॉडकास्ट इंटरव्यू में मातृत्व और करियर को लेकर विचार साझा किए। उन्होंने ConnectFor के ज़रिए लाखों वॉलंटियर्स को NGOs से जोड़ा है और समाज में बदलाव लाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।
श्लोका अंबानी

👩👧👦 “माँ जाती है ऑफिस” – एक कार्यशील माँ की स्पष्टीकरण
श्लोका ने Masoom Minawala के पॉडकास्ट में साझा किया कि वह अपने बच्चों को कहती हैं:
“जैसे तुम स्कूल जाते हो, वैसे मैं ऑफिस जाती हूँ। सब कुछ खुद को बेहतर बनाने के लिए करना होता है…”
यह बातें उनके उद्देश्यपूर्ण जीवन दर्शन और बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव की महत्वाकांक्षा को दर्शाती हैं।
🤝 ConnectFor: “वॉलंटियरिंग का Shaadi.com”
श्लोका और उनकी सहसंस्थापक मणिती शाह ने 2014 में ConnectFor की शुरुआत की, जिसका मकसद था वॉलंटियर्स को NGOs से जोड़ना।
- अब तक उन्होंने 1 लाख वॉलंटियर्स और 1000+ NGOs को जोड़ा है, जिससे ₹21 करोड़ के कार्य समय की बचत हुई
- उनका उद्देश्य: नॉन‑प्रॉफिट्स भी फॉर‑प्रॉफिट्स जैसी प्रोफेशनलिज़्म और दक्षता से काम करें
🎓 क्वालिफिकेशन और दृष्टिकोण

प्रिंसटन और LSE की शिक्षा प्राप्त श्लोका ने एक मुनाफाकारी करियर के बजाय सामाजिक क्षेत्र को चुना, यह बताते हुए कि “ConnectFor जैसे प्लेटफॉर्म्स टेक्नोलॉजी के ज़रिए नहीं बल्कि रिश्तों के ज़रिए चलता है”
🔔 माता-पिता का संदेश: कार्य और करियर की प्रेरणा

श्लोका ने बताया कि बच्चों और पारिवारिक समर्थन के कारण उन्होंने अपने मिशन को मजबूत रखा। उन्होंने कहा कि “कव भय नहीं, बल्कि अपने काम में विश्वास सबसे जरूरी है”
📌 निष्कर्ष
श्लोका अंबानी की यात्रा मॉडर्न वर्कींग मदर, एनजीओ लीडर और वैल्यू-बेस्ड सोशल इनोवेटर का बेहतरीन उदाहरण है।
- ConnectFor ने वॉलंटियरिंग में प्रोफेशनलिज़्म और स्केलेबिलिटी लाया।
- उनकी प्रेरणादायक बातें इस बात की मिसाल हैं कि करियर, परिवार और सामाजिक बदलाव साथ-साथ चल सकते हैं—और इसके लिए “मम्मा को ऑफिस जाना पड़ता है” वैरिएंट ही एक गहरा संदेश है।
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